Chhapra Desk – कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन मशरक के बरवाघाट में घोघारी नदी के तट पर बरवाघाट मेला लगता है. बुजुर्ग ग्रामीणों के अनुसार पूर्व में नारायणी गंडकी का यह तट प्रभु श्रीराम के जनकपुर यात्रा के बाद से उस समय से चर्चित हुआ जब श्रीराम के चरण का स्पर्श पाते ही नारायणी नदी का जल कम हुआ और भगवान ने आगे की यात्रा प्रारंभ की. तबसे इस नदी के पानी मे पैर धोने की परंपरा शुरू हुई. मेला में सुथनी की बिक्री खूब होती तब इसे सुथनिया मेला के नाम से पहचान मिली. मेला में इसके अलावे लकड़ी के बने ओखल मूसल की खरीददारी महिलाएं खूब करती थी. धीरे धीरे मेले में पियक्कड़ों का जमावड़ा होने लगा. तबसे इसे पियक्कड़ों के मेला के रूप में लोग जानने लगे. कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन लगने वाले इस मेला के आसपास खेत, झाड़ी में लोग तंबू तान पिकनिक मनाने वाले शराब और मांस का सेवन जमकर करने लगे. बिहार में शराबबंदी लागू हुई तबसे पुलिस ने लगाम कसना शुरू कर दिया. फिर भी पियक्कड़ मेले में अपनी मौज मस्ती करते रहे.
इस वर्ष मेला परिसर से पियक्कड़ों को दूर करने और शराबबन्दी की धज्जी उड़ाने वालो के खिलाफ कठोर कार्रवाई की रणनीति प्रशासन ने बना रखी है. मढौरा एसडीओ योगेन्द्र कुमार एव डीएसपी इंद्रजीत बैठा के संयुक्त आदेश में मेला में तीन दंडाधिकारी की मौजूदगी में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है. मशरक थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि आसपास के इलाके एवं सीमा पर सघन तलाशी एवं छापेमारी जारी है. मेला में ब्रेथ एनलाइजर के साथ पुलिस पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. नशा करने वाले संदिग्ध की फौरन जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी. गुरुवार को मढौरा एसडीओ योगेन्द्र कुमार, डीएसपी सीओ मशरक ललित कुमार सिंह एवं डीएसपी इंद्रजीत बैठा, मशरक थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने मेला स्थल एवं आसपास का निरीक्षण किया.