क्रांतिकारियों की धरती मलखाचक, सारण में संघ प्रमुख मोहन भागवत 27 नवंबर को स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को करेंगे सम्मानित

क्रांतिकारियों की धरती मलखाचक, सारण में संघ प्रमुख मोहन भागवत 27 नवंबर को स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को करेंगे सम्मानित

CHHAPRA DESK – स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में क्रांतिकारियों की पाठशाला के रूप में विख्यात दिघवारा प्रखंड के मलखाचक गांव एक बार फिर अपनी ऐतिहासिकता का साक्षी बनेगा. जहां 27 नवंबर को संघप्रमुख मोहन भागवत स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से जुड़े लोगों को सम्मानित करेंगे. बताते चले कि आजादी के लड़ाई में सरदार भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों एवं महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों को एक साथ लेकर चलने वाला गांव मलखाचक अपनी एक अलग पहचान रखता था. जहां पुरुष स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों में अपनी भूमिका निभा रहे थे वहीं महात्मा गांधी के आह्वान पर गांव की महिलाएं बड़े पैमाने पर सुत काट कर स्वावलंबी भारत की ओर अपना कदम बढ़ा रहीं थी.

चर्चित लेखक डॉ के के दत्त के ने अपने किताब फ्रीडम मूवमेंट ऑफ बिहार में स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में मलखाचक की भूमिका के बारे में लिखा है कि अंग्रेजों के लिए सिरदर्द बने योगेंद्र शुक्ला को मलखाचक वासियों ने ही अपने संरक्षण में रखा था जहां से कनाडाई पुलिस की मदद से अंग्रेजों द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया था. साथ ही उन्होंने अपने पुस्तक में महात्मा गांधी के इस गांव से कनेक्शन का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि गांधी जी के गुरु संत गार्बो दा ने इस गांव में सात महीने रहकर लोगो को आध्यात्मिक तरीके से मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रेरित करने का काम किया था. इतना ही नही एक ओर जहां सरदार भगत सिंह के खिलाफ मुखबिरी करने वाले फणीन्द्र नाथ घोष की हत्या की योजना इसी गांव के बैकुंठ शुक्ला ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बनाई थी. वहीं दूसरी ओर जिले के पहले शहीद राम देनी बाबू यहीं के रहने वाले थे, जिन्हें जिले में सबसे पहले फांसी दी गयी थी.

आजादी के आंदोलन में दिघवारा अंचल का यह गांव एक तरह से क्रांतिकारियों का केन्द्र बना हुआ था जहाँ आसपास के कई गांवों के लोग एकत्रित होकर आंदोलनों की योजना बनाते थे। इसी क्रम में महात्मा गांधी द्वारा यहां पहुंच कर लोगो को आंदोलनों से जुड़ने का आह्वान भी किया गया था, जिसके बाद महान स्वतंत्रता सेनानी और देश की आजादी के बाद प्रथम विधायक रहे राम विनोद सिह द्वारा गांधी कुटीर की स्थापना करते हुए आजादी की लड़ाई को और तेज किया गया था. आश्चर्य तो तब हुआ जब अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए रामविनोद बाबू की दोनों सुपुत्री शारदा और सरस्वती ने भी आजादी के आंदोलन में कूदते हुए दिघवारा रेल लाइन को उखाड़ फेंका था और अंग्रेजों के लाइफ लाइन को रोक कर दिघवारा थाने को अपने कब्जे में ले लिया था.

जिसके बाद अंग्रेजों के द्वारा किये गए कारवाई में जगह जगह छापेमारी के दौरान क्रन्तिकारियो को आर्थिक रूप से सहयोग करने वाले जमींदार हीरालाल सर्राफ के सूत के गोदाम में आग लगा दिया गया। वही बसंत लाल के एक पुत्र को गोरे सैनिकों ने गोली मार कर हत्या कर दी। जबकि रामलखन भगत, सरयुग सिह जैसे सैकड़ों क्रन्तिकारियो ने आंदोलन को जारी रखा.
इसके अलावें बाबू कुंवर सिह की लड़ाई से लेकर जेपी आन्दोलन तक मे अपनी मूमिका के लिए इस घरती को जाना जाता हैं.

आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो इस कड़ी में राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ कार्यवाह (संघ प्रमुख) मोहन भागवत द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में शामिल क्रन्तिकारियो एवं उनके उत्तराधिकारियों को सम्मनित किया जाना है. आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि सारण जिले एवं आस पास के जिलों के लगभग तीन सौ क्रन्तिकारियो के परिवार के लोगो ने यहाँ उपस्थित होने की सहमति जताई है। जो अपने आप आप मे एक अनूठा व ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा. इसके साथ ही मलखाचक निवासी व वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र सिह द्वारा लिखित पुस्तक स्वाधीनता आंदोलन की बिखरी कड़िया पुस्तक का विमोचन भी संघ प्रमुख के हाथों होना है.

वहीं इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय एवं त्रिदण्डी स्वामी के परम शिष्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी के भी रहने की सूचना है.लिहाजा आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा कार्यक्रम की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। चुकी कार्यक्रम सुबह आठ बजे से होना है इसलिए एक दिन पूर्व संध्या से ही सेनानियों के परिजनों के आगमन से कार्यक्रम की भव्यता दिखने वाली है.

 

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