Chhapra Desk – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि मोदी है तो मुमकिन है. 14 जनवरी 2022 तक कोरोना टीकाकरण की कुल खुराक 156 करोड़ दी जा चुकी है. एक साल पहले जब वैक्सिनेशन ड्राइव शुरू हुआ था तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि मात्र एक साल में देश में इतना व्यापक और सफल वैक्सिनेशन प्रोग्राम का कार्यान्वयन संभव है. किसी ने यह कल्पना नहीं की थी कि तीसरी लहर आने से पहले भारत इस मजबूत स्थिति में पहुंच पाएगा. आज कोरोना वैक्सीनेशन के साथ-साथ बूस्टर डोज मिसाल बन गया है. आज भारत में 93% लोगों ने पहली खुराक और 69.5% दूसरी खुराक लिया है. वहीं 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग में 42% को पहली खुराक दी जा चुकी है. करोना वैक्सिनेशन कार्यक्रम की सफलता तब स्पष्ट रूप से सामने आती है जब इसकी तुलना हम देश में हुए अन्य वैक्सीनेशन ड्राइव से करते हैं. एक समय था जब टीबी टीकाकरण की शुरुआत दूसरे देशों में 1921 में हुई थी, लेकिन भारत में यह 1978 में शुरू हुई. पोलियो का टीका 1955 में विकसित हुआ लेकिन भारत में यह 1985 में आया. हेपेटाइटिस टीका 1965 में विकसित हुआ था लेकिन भारत 2003 में आया. जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका 1930 में आया, लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्य नाथ की सरकार आई तो इसे भारत लाया गया. उसी तरह चिकन पॉक्स इंजेक्शन पूरी दुनिया में 1995 से लग रहे थे लेकिन भारत में 2005 में इसकी शुरुआत हुई थी. परंतु आज कोरोना के टीके का इजाद भारत में हुआ और भारत ने डंके की चोट पर विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की घोषणा की और जो बोला सो कर के दिखाया इस वैक्सीन अभियान से विश्व को भारत की क्षमताओं को भी सही मायने में पहचान हुई. एक वर्ष में विश्व रिकॉर्ड की लम्बी कतार बनी भारत ने 21 अक्टूबर, 2021 को सबसे तेजी से 100 करोड़ वैक्सीन खुराक देने का रिकॉर्ड बनाया. 7 जनवरी, 2022 को 150 करोड़ वैक्सीन खुराक का अभूतपूर्व संकल्प हासिल किया। 17 सितंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन था, भारत ने एक दिन में 2.5 करोड़ टीके लगाने का रिकॉर्ड बनाया. यह मोटे तौर पर न्यूजीलैंड की आबादी को एक दिन में 5 बार टीका लगाने के बराबर था.
प्रधानमंत्री का कोरोना वैक्सीनेशन का प्रबंधन दुनिया के सभी देशों से बेहतर रहा है. खास कर आज सबसे विकसित देशों में शुमार अमेरिका से भी भारत का प्रबंधन बेहतर रहा है. अमेरिका की जनसंख्या 33 करोड़ है और भारत में अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोग 35 करोड़ है, फिर भी कोरोना से संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बना हुआ है, जिसमें मृत्यु दर 190,000 से अधिक है और मामलों में 63 मिलियन की वृद्धि हुई है। भारतीय मृत्यु दर संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में एक तिहाई से भी कम है. यह देखते हुए कि अमेरिका की कुल जीडीपी दर 21 ट्रिलियन डॉलर है और भारत की कुल जीडीपी दर 2.9 ट्रिलियन डॉलर है, भारत न केवल जागरूकता बढ़ाने और अपने नागरिकों को रक्षा करने में कामयाब रहा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान न हो. भारत सरकार ने कई छूट उपायों की घोषणा की, जिनमें से पीएम ने जीडीपी के लगभग 10% के राहत पैकेज दी है.
अमेरिका की साक्षरता दर 88% है और भारत की 76.26% है, फिर भी भारत में यह देखा गया है कि साक्षरता और टीकाकरण कवरेज की पहली खुराक में भारत अव्वल रहा. भारत में ठीक होने की दर लगभग 97.6% है. अमेरिका का रिकवरी रेट 71.4% है। आज के समय में अमेरिका में कोविड पॉजिटिव मरीजों की कुल संख्या 6.62 करोड़ है और मृत्यु 8.72 लाख है. हालांकि भारत में कुल कोविड पॉजिटिव मरीजों की संख्या 3.68 करोड़ है और मृत्यु 4.56 लाख है. अमेरिका मात्र 20.7 करोड़ करोड़ लोगों को दोनों टीका लगाया गया है और 65.22 करोड़ भारतीय नागरिकों को दोनों टीका लगाया जा चुका है.
ये सब कुछ संभव हो पाया भारत के उर्जावान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देशों के कारण उन्होंने टीकाकरण के मुहिम से खुद को जोड़कर ऐसी रफ्तार दी कि आज दुनिया में कोरोना टीकाकरण प्रबंधन में भारत अव्वल है. प्रधानमंत्री की नीति-नियत-निश्चय के बल पर कोरोना टीकाकरण को 150 करोड लोगों से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया गया है. उन्होंने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि मोदी है तो मुमकिन है.