GAYA DESK – खरीफ 2022 गया जिला के किसानों के लिये चुनौतीपूर्ण रहा है. इस वर्ष जून से अगस्त तक हुई अल्पवर्षा से धान का आच्छादन तो पहले से ही था, इसी बीच अक्टूबर के दूसरे पखवाडे़ से जिले के बहुत से किसानों के खेतों में मधुआ कीट (बीपीएच) का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है. इसी मधुआ कीट के समुचित प्रबंधन और कीट नाशकों के सही व्यवहार की जांच के उद्देश्य से जिला कृषि पदाधिकारी, गया सुदामा महतो परैया प्रखण्ड के कपसिया पंचायत के कजरी गांव पहुंचे, जहां उन्होने किसानों के खतों में लगे मधुआ कीट के नियंत्रण के लिये किसानों को जागरुक किया और कृषि समन्वयक एवं किसान सलाहकार से कीट नाशकों के व्यवहार के तरीके के बारे में जानकरी लिया.
उसी क्रम में कजरी गांव के किसान अनिल कुमार ने जानकारी दिया कि वे 63 बीघे में बासमती धान की खेती कर रहे हैं. उन्होने बताया अल्पवर्षा के बाद भी उन्होने पूषा 1718 और पूषा 1401 बासमती धान की खेती की है. अभी तक फसल अच्छी स्थिति में है. उन्होने बताया कि पिछले वर्ष उन्होने 10 बीघे में बासमती चावल की खेती की थी. जिसका हरियाणा के बाजार में 4000 रुपये क्विंटल का मूल्य प्राप्त हुआ. इसी को ध्यान में रखकर उन्होने लीज पर जीमन लेकर 63 बीघे में जबकि एक अन्य किसान सोनू शर्मा ने 09 बीघा में बासमती धान की खेती की है. इस वर्ष उन्हे 5000 रुपये क्विंटल का मूल्य मिलने की उम्मीद है.
उन्हे प्रति बीघा औसतन 15 क्विंटल धान उत्पादन की उम्मीद है. इस प्रकार उन्हे 900 क्विंटल से अधिक की उपज होने की उम्मीद है. जिससे कुल आमदनी 45 लाख रुपये जबकि शुद्ध आमदनी 20 लाख रुपये का अनुमान है. उन्होने बताया कि बासमती धान से चावल बनाने की राईस मिल बिहार में नही है, हरियाणा के व्यापारियों ने बिहार में उत्पादित बासमती चावल को पहली पंसद माना है क्योंकि यहां उत्पादित धान की गुणवत्ता अन्य स्थानों पर उत्पादित धान से अच्छी है. इसी धान से चावल बनने के बाद इंडिया गेट बासमती चावल के नाम से देश विदेश के बाजारों में 120 से 150 रुपये प्रति किलो की दर से आसानी से बिक जाता है. जिला कृषि पदाधिकारी से गया जिला में इस धान से चावल बनाने की राईस मिल लगवाने हेतु पहल करने की मांग किया है.
जिला कृषि पदाधिकारी महोदय ने अनिल कुमार द्वारा लगाये गये बासमती धान की खेती को देखने के बाद प्रसन्नता व्यक्त किया और कहा कि धान की खेती करके अच्छा लाभ कमाया जा सकता है. उन्होंने आहार फाउण्डेशन के अमित प्रकाश को भी धन्यवाद दिया है, जिनके प्रयास से किसानों के लिये धान की खेती में नये मार्ग प्रशस्त हुए हैं. इस मौके पर नीरज कुमार वर्मा उप परियोजना निदेशक, आत्मा गया एवं कृषि समन्वयक संजय कुमार भी उपस्थित थे.
साभार : धीरज गुप्ता