मोहर्रम के अंतिम दिन कहीं निकला अलम तो कहीं शबिहे ताबूत

मोहर्रम के अंतिम दिन कहीं निकला अलम तो कहीं शबिहे ताबूत

CHHAPRA DESK – मोहर्रम के अंतिम दिन सारण में कहीं निकला अलम तो कहीं शबिहे ताबूत. इस अवसर पर जंजीरी मातम भी किया गया. इस अवसर पर देश विदेश से आए सभी लोगो ने हिस्सा लिया. छोटे-छोटे बच्चे जंजीरी मातम कर ये बता रहे थे के काश हम कर्बला में होते तो 6 माह के शहीद अली असगर के साथ अपनी भी कुर्बानी देते. मजलिस में राशिद रिजवी, नाजिश अली, काजिम, आरिफ रिजवी, डब्लू, फजल, दाऊद अली, नकी हैदर, राजू, ज्या अब्बास के साथ सैकडो की संख्या में लोग मौजूद थे. बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुसलमानों का नए वर्ष का आरम्भ मोहर्रम माह से होता है.

इस पाक और पवित्र माह में रसूले खुदा अली असगर ने मक्के से मदीने के लिए सफर किया और इसी माह में पैगम्बर -ए – इस्लाम हज़रत मोहम्मद के नवासे हजरत इमामहुसैन और उनके 72 साथियों समेत यजीदी फौज के द्वारा 3 दिनों तक भूखा पाया रखकर कर्बला के मैदान में कत्ल कर दिया गया था. कुरुर शासक यजीदी फौज द्वारा हजरत इमामहुसैन से बैयत की मांग करने, एव बुराई के रास्ते पर चलने की मांग करने और इमाम हुसैन द्वार इनकार किए जाने के बाद कर्बला में पेश आया.

मोहर्रम में शिया समुदाय के लोग हजरत इमामहुसैन्न और उनके 72 साथियों की इसी कुर्बानी और शहादत की याद में अपने अपने घड़ों से लेकर इमामबाड़ा में 1 मोहर्रम से मजलिस -व -मातम का आरंभ कर 2 माह 10 दिन तक शोक प्रकट करते है. हजरत इमामहुसैन समेत 72 शहीदों का रौजा इराक के शहर कर्बला में उसी जगह है जहां से जंग का वाकया पेश आया।इसी जंग और इमामहुसैंन के 72 साथियों की कुर्बानी को देखते पूरे दुनिया में शिया समाज के लोग मजलिसो मातम मनाते है. आज सोमवार को मोहर्रम के अंतिम दिन शहर के नई बाजार, दहियावां, तेलपा में मजलिसो का सिलसिला जारी है.

मोहर्रम के अंतिम दिन हर इमामबाड़ा में कही अलम तो कही हजरत अब्बास अली असगर का ताबूत निकाल कर कर्बला के 72 शहीदों को याद किया गया. छपरा शहर के नई बाजार स्थित स्व मुबारक हुसैन साहब के इमामबाड़ा में हजरत अली अकबर का ताबूत और कर्बला में शहीद हजरत अब्बास अली असगर का अलम -ए – मुबारक अंजुमन -ए – अब्बासिया के तत्वाधान में निकाला गया.

मजलिस का आरंभ डॉक्टर अशरफ अली के सोज से हुआ मौलाना सुलेमान ने मजलिस में कहा की हजरत इमाम हुसैन ने अपनी कुर्बानी दिन और इस्लाम बचाने के लिए दी इन्होंने हमेशा सच का साथ और बुराई से दूर रहने का फैसला किया. मजलिस में रियाज नकवी, डॉक्टर अशरफ अली, परवेज नकवी, बबलू राही, अकबर अली, अमीर हैदर, फजल हैदर, दाऊद अली, तौसीफ जाफरी ने अपना अपना कलाम पढ़ा. इस अवसर पर अंजुमन के सभी मातम दारो ने जंजीर मातम किया.

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