CHHAPRA DESK – रसोई गैस में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण जहां भोजन का जायका बिगड़ रहा है, वहीं रसोई गैस की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण उज्जवला योजना के तहत निशुल्क गैस कनेक्शन पाने वाले गरीबों के घर में पुनः लकड़ी कोयले का आसरा नजर आ रहा है. लेकिन ना तो स्मृति ईरानी इस बार चूड़ी दिखाएगी ना ही किसी के मुंह से निकलेगा “उफ्फ! ये डायन महंगाई”.
बता दें कि विगत महीने जहां रसोई गैस की कीमत ₹1151 थी, उसे 1 अप्रैल से बढ़ाकर ₹1201 (14.2 kg) कर दिया गया है. ₹50 की बढ़ोतरी एक बार फिर गैस रिफलिंग करवाने वालों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. एक तरफ जहां महंगाई लोगों के किचन के बजट पर भारी प्रभाव डाल रही है. वहीं रसोई गैस की बढ़ी कीमतों ने तो किचन में ही आग लगा दिया है.
वहीं 19 kg कमर्शियल रसोई गैस पर भी ₹352 की बढ़ोतरी की गई है. जिसकी कीमत अब ₹2024 रुपए से बढ़कर ₹2376 हो गई है. ऐसी स्थिति में गैस की बढी भारी कीमतों के कारण गरीब तो गरीब मध्यम वर्गीय लोगों के भी किचन का बजट बिगड़ चुका है. लेकिन कोई क्या कहे? भाजपा की सरकार है. कल तक महंगाई को लेकर चूड़ी दिखाने वाली स्मृति ईरानी को ही अब सांप सूंघ गया है.
वही भाजपाइयों के आंख पर तो काली पट्टी लगी हुई है, उन्हें बस कमल के सिवा महंगाई दिखती ही नहीं है. ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना भी नकारा साबित हो रहा है. गरीब परिवार जो दैनिक जीवन से अपनी जीविका चलाता है, उसके लिए एक साथ 12 सौ रुपए जुटा पाना और रसोई गैस भरवा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
ऐसी स्थिति में या तो वे सिलेंडर का रिफिलिंग नहीं करवा पाते हैं या उनके नाम पर पार्टियों और पंडालों में गैस खपाया जाता है. वैसे गैस एजेंसी के दिल पर नजर डालें तो उज्जवला योजना के सिलेंडर बहुत ही कम मात्रा में रिफिलिंग कराए जाते हैं.