आस्था का केन्द्र बिन्दु है उत्तर बिहार का एकमात्र कोठियां नरांंव सूर्य मंदिर

Chhapra Desk-   भारत की भूमि सनातनधर्मावलंबियो व धार्मिक स्थलो का गढ है. यहां ऐसे-ऐसे धार्मिक केन्द्र व धार्मिक पर्यटन स्थल है जो विदेशी शैलानियो को भी मंत्र मुग्ध कर देता है. वहीं भारतीय संस्कृति में प्रत्यक्ष देव के रूप में पूजित भगवान सूर्य का मंदिर है इन्ही कड़ियो में उत्तर बिहार के सारण जिला के कोठिया- नरांव स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में शुमार गडखा प्रखंड के अवतारनगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आता है. जो छपरा पटना मुख्य सडक मार्ग व छपरा सोनपुर रेलखंड के मध्य में स्थित है. सड़क मार्ग से आने पर मुसेपुर से सूर्य मंदिर प्रवेश द्वार होकर व रेल मार्ग से बड़ागोपाल या डुमरी जुअरा स्टेशन से होकर यहा पहुंचा जा सकता है. तीनो स्थलो से लगभग समान दूरी से तीन कीलोमीटर है. वहीं सारण जिला मुख्यालय से यह मंदिर 18 किमी की दूरी पर अवस्थित है.

रमणीक व प्राकृतिक वातावरण के बीच अवस्थित है सूर्यमंदिर

नरांव पंचायत के नारायण डीह से दक्षिण में स्थित यह मंदिर जो प्रकृतिक वृक्षो के अनुपम श्रृंगार से चारो तरफ से अच्छादित है. सूर्य मंदिर रमणीक वातावरण व स्वच्छ माहौल के साथ ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है. मंदिर परिसर के चारों ओर से विशालकाय पौधों एवं पुष्प के क्यारियों से आच्छादित है जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाता है. इस मंदिर की स्थापना 26 अप्रैल 1990 को संस्थापक रामदासजी महाराज की पहल पर नौ कुंडीय श्री महायज्ञ के पश्चाताप हुआ था.  इस मंदिर का उद्घाटन जिले के तत्कालीन डीएम श्री व्यास जी के द्वारा किया गया था. यहां का इतिहास हजारों वर्ष पहले का है जब सिर्फ एक छोटा रामजानकी मंदिर हुआ करता था. यह सप्तरिषयो का योग केन्द रहा है जिसका जुडाव अयोध्या, रांची ,फतेहा, जलंधर आदि केंद्रों से है. यह स्थल 20 वीं सदी के उतराद्र मे वास्तविक रूप से फलना फूलना शुरू किया. चार चांद तब लगा.

जब सप्तरिषि  श्रीश्री1008 श्री राम दास जी महाराज द्वारा सूर्य कुण्ड का उद्धार व सूर्य मंदिर निर्माण कराया गया. इसके बाद नौ कुण्डीय यज्ञ शुरू हुआ. देश  के कोने-कोने से संत महात्मा व नागाओं का आगमन हुआ. तब से दिनो दिन यहां की रौनकता बढती गई और आज यह स्थल पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित होने के कागार पर है. 2016 मे गडखा अंचलाधिकारी अश्विनी कुमार चौबे ने इस स्थल का फोटो ग्राफी व विडियो फुटेज बनवाकर पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित करने हेतु उप विकास आयुक्त(डी डी सी) सारण को दिया था जो आज तक इसदिशा में कोई विशेष पहल नहीं हुई.

सात घोड़ों पर सवार है सूर्य

मंदिर में भगवान सूर्य की काले रंग की प्रतिमा स्थापित है जो काले घोड़े पर विराजमान है. सात अश्वों पर सवार भगवान भास्कर की काले रंग की प्रतिमा बनी है जो अश्वों पर विराजते सूर्यदेव सात अश्वों की लगाम थामे मानों इंद्रिय निग्रह एवं संयम का उपदेश देते हुए. वहीं सूर्य मंदिर के मुख्य द्वार पर उन संतों की बड़ी श्रद्धा से याद किया गया है जिन्होंने यहां आकर भक्ति और शांति की शिक्षा दी.


सूर्य मंदिर के सामने विशाल भव्य सूर्यकुंड

सूर्य मंदिर के सामने विशाल व भव्य सूर्यकुंड अवस्थित है जिसका निर्माण कई शताब्दी वर्ष पूर्व हुआ था एवं मंदिर निर्माण के समय ही इस सूर्यकुंड (तालाब) का जीर्णोद्धार हुआ. आज यह सूर्यकुंड इलाकों में अपनी सुंदरता व स्वच्छता के मामले में काफी प्रसिद्ध है इस सूर्यकुंड में प्रवेश करने के लिए चारों ओर से आकर्षक सीढ़ियां बनाई गई है इस सूर्यकुंड के चारों और घेराबंदी किया गया है उसका भव्य रंगारंग मनोरम छटा उपस्थित करती है. ऐसी धारणा है कि इसमें स्नान कर लेने के बाद चर्म रोग नहीं होता है.

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