एक स्कूल ऐसा जहां एक ही कमरे में चलती हैं दो कक्षाएं ; आधे ब्लैकबोर्ड पर हिंदी तो आधे पर उर्दू पढ़ाते हैं शिक्षक

CHHAPRA DESK-  बिहार में सरकार शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे विकास का लाख दावा कर ले लेकिन शिक्षा की व्यवस्था की सुधरने का नाम नहीं ले रहा है, ऐसी ही एक तस्वीर कटिहार से निकलकर आ रही है, जहां एक ही कमरे में दो कक्षाएं चलती हैं. जहां आधे ब्लैकबोर्ड पर हिंदी तो आधे पर उर्दू विषय की पढाई होती है. दो कक्षाओं के दोनों विषय के शिक्षक एक ही क्लास रूम में एक ब्लैकबोर्ड पर एक साथ अलग-अलग विषय पढ़ाए जाते हैं.

यह तस्वीर कटिहार के मनिहारी प्रखंड के आदर्श मध्य विद्यालय आजमपुर गोला में चल रहे उर्दू प्राथमिक विद्यालय का है. 1956 ई में स्थापित इस उर्दू प्राथमिक विद्यालय को 2017 ई में शिक्षा विभाग ने शिफ्ट कर दिया था. आदर्श मध्य विद्यालय आजमपुर गोला में कमरे की कमी की वजह से उर्दू प्राथमिक विद्यालय को एक कमरा दिया गया और इसी कमरे में स्कूल का सभी सामग्री भी रखा जाता है. उर्दू प्राथमिक विद्यालय में कुल 3 शिक्षक और शिक्षिका कार्यरत हैं. क्लास 1 से क्लास 5 तक के कुल छात्र छात्राओं का नामांकन की संख्या 163 है, इस कमरे में शिक्षक बच्चों को हिंदी और उर्दू दोनों विषयों की पढ़ाई करवाते हैं. इस एक कमरे के स्कूल में एक ही ब्लैकबोर्ड पर आधे में हिंदी लिखकर हिंदी की पढ़ाई करवाया जाता है तो दूसरी तरफ से एक ही साथ दूसरे शिक्षक के द्वारा उर्दू लिखकर छात्रों को उर्दू की तालीम दिया जाता है और कभी कभी तीसरी शिक्षिका कमरे के दूसरे तरफ दीवार में लगे वर्णमाला के बैनर को देखकर छात्रों को पढ़ाती हैं. ऐसे में एक ही कमरे में छात्र छात्राओं को तीन तरह से पढ़ाई करने के दरमियान छात्रों का शोरगुल होने पर शिक्षिका टेबल पर छड़ी बजाकर छात्रों को शांत भी नजर आती हैं.

अब आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या ऐसे में एक ही समय एक ही कमरे में शिक्षकों के द्वारा पढ़ाए जाने वाले अलग अलग विषय को समझ पाते होंगे? क्या इन नौनिहालों के साथ शिक्षा के नाम पर शिक्षा विभाग का मजाक नहीं है? क्या इस तरह की पढ़ाई के नाम पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं है?

आदर्श मध्य विद्यालय की सहायक शिक्षिका कुमारी प्रियंका भी उर्दू प्राथमिक विद्यालय को शिफ्ट करने की बात कहते हुए इस विद्यालय को एक ही कमरे देने की बात बताती है. वह कहती है कि इसके विद्यालय में कमरा कक्षा की कमी खुद ही है. उस समय शिक्षा विभाग का आदेश था, इसलिए एक कमरा दिया गया है. कमरे में ब्लैकबोर्ड को आधे आधे भाग में बांट कर हिंदी और उर्दू की पढ़ाई करवाने की बात कह रही है. ऐसे में बच्चों को पढ़ने के साथ साथ समझने में काफी परेशानी होती है. एक कमरे में बच्चों की उपस्थिति से काफी परेशानी होती है,


जब इस बाबत जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो DEO कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने जांच करवाने की बात कहते हुए कहा कि मध्य विद्यालय में अगर छात्र छात्राओं का नामांकन कम होगा तो एक रूम और उर्दू प्राथमिक विद्यालय को दिया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि अगर एक ही कमरे में एक ही ब्लैकबोर्ड पर कई वर्ग के बच्चों को शिक्षकों के द्वारा पढ़ाया जा रहा है तो यह अच्छी बात नहीं है.

अब आप ही बिहार में शिक्षा विभाग के द्वारा नौनिहाल छात्र छात्राओं के साथ किया जा खिलवाड़ का सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि ‘शिक्षा में सुधार’ सरकार के दावे में कितना दम है.

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