CHHAPRA/GAYA DESK – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के सामने आम बजट प्रस्तुत किया है. भाजपा के सारण जिला अध्यक्ष रामदयाल शर्मा ने आम बजट की सराहना करने हुए कहा यह अमृतकाल का बजट है. वैश्विक मंदी के बावजूद दुनिया ने भारत की आर्थिक स्थिति को सराहा है. हमारी अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है. इस बजट की सात प्राथमिकताएं हैं, जो सप्तऋषि की तरह अमृतकाल के दौरान हमारा मार्गदर्शन करेंगी. ये सात प्राथमिकताएं हैं- समावेशी विकास, अंतिम व्यक्ति तक पहुंच, इंफ्रास्ट्रक्चर और इन्वेस्टमेंट, अपनी क्षमता को विकसित करना, ग्रीन ग्रोथ को बढ़ाना, यूथ पावर, फाइनेंशियल सेक्टर को प्रोत्साहन.
वहीं भाजपा युवा नेता श्याम बिहारी अग्रवाल ने बजट की सराहना करते हुए कहा आयकर की सीमा को बढ़ाकर सात लाख किया गया. सात लाख तक के आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. वेतन भोगियों को आयकर में छूट का ऐलान किया गया है. वरिष्ठ नागरिक बचत योजना के तहत 15 लाख रुपये तक की सीमा को बढ़ा कर 30 लाख रुपये किया गया है. मासिक आय खाता स्कीम के तहत भी मौजूदा 4.5 लाख रुपये की सीमा को बढ़ा कर 9 लाख रुपये किया जा रहा है. वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बेहतरीन बजट है जिसमें सभी वर्गों का समान ख्याल रखा गया है. इसके लिए वित्त मंत्री बधाई की पात्र हैं.
वहीं गया ज़िला उपाध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद अधिवक्ता, ज़िला मंत्री संतोष ठाकुर ने आम बजट का स्वागत करते हुए कहा कि यह बजट प्रत्येक व्यक्ति के लिए उत्साहवर्धक है. इस बजट में छात्र, किसान, मजदूर, महिला के साथ साथ आम नागरिकों का बजट है. बजट में किसानों के लिए ऋण का लक्ष्य बीस लाख करोड़ रुपये, आयकर में सात लाख तक छूट के साथ साथ इलेक्ट्रॉनिक कार, मोबाईल, मोटर साईकिल, साइकिल टीवी सस्ते होंगे. स्वास्थ्य जगत में 157 नए नर्सिंग कॉलेज, दवा के क्षेत्र में नये नये शोध, मुफ्त खाद्दान्न योजना को आगे बढ़ाने का लक्ष्य के साथ पूरे स्ट्रक्चर को सुदृढ़ करने वाला बजट है. इस बजट से आम नागरिकों को लाभ मिलेगा.
वहीं गया के जदयू नेता कुमार गौरव ऊर्फ गौरव सिन्हा ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्रीय बजट (2023-24) बिहार के हित में नहीं है. इस बार के बजट में दूरदर्शिता की कमी और युवाओं के लिए रोजगार सृजन तक नहीं दिख रहा है. राज्य सरकार की ऋण सीमा में वर्ष 2023-24 में कोई छूट नहीं दी गई है. बिहार सरकार के अपने ज्ञापन में इसे 4% तक रखने का आग्रह किया गया था, जो पिछड़े राज्यों के विकास में तथा नए रोजगार सृजन में लाभप्रद होता.
केन्द्रीय बजट में 1.3 लाख करोड़ का ब्याज रहित ऋण प्रदान करने का प्रावधान किया गया था लेकिन इसमें भी बिहार को कोई लाभ नहीं दिया गया है. इस बजट में राज्यों के वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज किया गया है. केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं में राज्य के हिस्से में कोई बदलाव नहीं किया गया है जिससे राज्य कि वित्तीय स्थिति पर बुरा असर हो रहा है.