CHHAPRA DESK – सारण जिले के डोरीगंज प्रखंड अंतर्गत पुरातात्विक स्थल चिरांद में गंगा, सरयू और सोन के संगम पर प्रकृति के सान्निध्य में जीवंत होगी गंगा महाआरती. चिरांद भारत की सांस्कृतिक विरासत से जगमगा उठेगा. इस बार 3 जून को होने वाले इस भव्य समारोह का शुभारंभ काशी के 11 आचार्यों की टोली द्वारा संगीतमय शास्त्रीय गंगा महाआरती से होगा. इसबार इस समारोह में सारण व बिहार के नवोदित बाल कलाकारों की प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र होगी. वहीं सारण की सांस्कृतिक विरासत को जीवंतता प्रदान करने वाली झांकी प्रस्तुत होगी.
चिरांद विकास परिषद ने बाल कलाकर रौनक के साथ ही डा. राजीव रंजन, अखिलेश्वर कुमार पाण्डेय, राजकिशोर सिंह विविध क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को चिरांद रत्न सम्मान देने का निर्णय लिया है. इस बार के गंगा आरती में शंख व विशाल डमरू के वादन से काशी हरिद्वार जैसा आध्यात्मिक माहौल बनेगा.
वहीं सत्यम कला मंच के निदेशक संदीप सौरभ के संयोजन में बिहार व यूपी के प्रसिद्ध गायक व वादक भव्य भाव-भक्ति जागरण कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे. इस अवसर पर भारतीय शास्त्रीय गीत-संगी व नृत्य का भी आयोजन किया गया है. वहीं सारण के प्रसिद्ध कलाकार राहुल व नारायण के संयोजन में समूह नित्य व सांस्कृतिक झांकी की प्रस्तुति होगी. सुदर्शन राय की टोली भिखारी ठाकुर की कृति की नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेगी.
वहीं बालकलाकार शाम्भवी शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत करेगी. कार्यक्रम के संयोजक धनंजय मिश्र ने बताया कि चिरांद के इस पवित्र मंच से भारत की सांस्कृतिक विरासत साकार होगी.
विश्व के दुर्लभ पुरातात्विक धरोहर सारण के चिरांद महोत्सव में इस वर्ष प्रकृति के सान्निध्य में विकास की संस्कृति जीवंत होगी. डेढ़ दशक की अनवरत यात्रा के बाद चिरांद महोत्सव में गंगा महाआरती,
गंगा गरिमा रक्षा संकल्प के साथ सारण के लोक व शास्त्रीय कलाकार गंगा के आंचल में पलने वाली समृद्ध सभ्यता व जीवन पद्धति से साक्षात्कार करायेंगे. चिरांद विकास परिषद के सचिव श्रीराम तिवारी ने कहा कि चिरांद एक ऐसा प्राचीन स्थल है जहां जलसंरक्षण एवं प्रकृति की अनुकूलता के साथ सुखद एवं आनंदपूर्ण जीवन व्यवस्था का प्रमाण मिला है.