छपरा नगर निगम का कारनामा : अपशिष्ठ प्रबंधन के लिए जमीन खरीदारी में तीसरी बार कानून की अनदेखी

छपरा नगर निगम का कारनामा : अपशिष्ठ प्रबंधन के लिए जमीन खरीदारी में तीसरी बार कानून की अनदेखी

CHHAPRA DESK – छपरा नगर निगम प्रशासन ने तीसरी बार कानून का उल्लघंन कर ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के लिए जमीन खरीदारी के लिए टेंडर निकाल दिया है. इस पर वेन्ट्रस फोरम आफ ट्रांसपरेेंसी इन इंडिया ने ऐतराज जताया है. फोरम के कन्वेनर अमरेन्द्र सिंह ने इस मामले का खुलासा करते हुए नगर निगम के प्रक्रिया को गलत बताया है. उन्होंने बताया कि इसके पहले भी नगर निगम प्रशासन द्वारा दो बार गलत तरीके से टेंडर निकाला जा चुका है. कहा कि ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन कानून 2016 के धारा-12 में साफ तौर पर वर्णित है कि इसके लिए जमीन को चिन्हित करने का पावर सिर्फ जिला मजिस्ट्रेट यानि डीएम को है. पहले भी नगर निगम ने यही गलती करते हुए ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन के लिए 10 एकड़ जमीन के लिए टेंडर निकाला था. जिसमें भू-माफियाओं ने फर्जी तरीके से टेंडर भी भर दिया. लेकिन वेन्ट्रस फोरम के आपत्ति के बाद वह टेंडर रद्द कर दिया गया. फोरम के शिष्ठमंडल ने नगर आयुक्त और डीएम से मिलकर इससे संबंधित सारे कागजात देकर इस पर पहल करने की अपील की थी. उस वक्त यह बात सामने आया कि एक साथ 10 एकड़ जमीन मिलने में दिक्कत आ रही है. शिष्ठमंडल ने पूर्व के किये गये कारनामों से भी डीएम को अवगत कराया. जिस पर डीएम ने पहल करने की बात कही। लेकिन फिर से नगर निगम आयुक्त ने डीएम के शक्तियों को दरकिनार करते हुए टेंडर निकाल दिया है. दूसरी गलती यह किया गया है कि जमीन को दो खंडों में मांगा गया है. फोरम का आरोप है कि नगर निगम के अधिकारी व नगर की सरकार की मिलीभगत से बड़ी रकम गबन करने की मानसिकता है. जिस पर रोक नहीं लगायी गई तो वेन्ट्रस फोरम एनजीटी का दरवाजा खटखटायेगा. अमरेन्द्र सिंह ने बताया कि इस मामले में फोरम के दायर याचिका में नगर निगम आयुक्त पर पहले ही एनजीटी ने प्रति माह दो लाख रुपया जुर्माना के तौर पर लगा चुका है. जिसको लेकर वेन्ट्रस फोरम के महासचिव विंग कमांडर डॉ. बीएनपी सिंह कानूनी लड़ाई लड़ रहे है. कूड़ा प्रबंधन के मामले में नगर आयुक्त पर एडवर्स इंट्री का भी आदेश है.

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