CHHAPRA DESK – डॉक्टर वास्तव में दूसरे भगवान होते हैं. इन्हें धरती का भगवान कहा जाता है. क्योंकि डॉक्टर्स जनता के विश्वास की डोर है. इसे बनाए रखने की जिम्मेवारी सभी डॉक्टरों पर है. लेकिन बदलते दौर और चिकित्सा के व्यवसायीकरण में हालात थोडे से बदले हैं. जिसके कारण चिकित्सकों एवं नर्सिंग होम में बवाल हो रहे हैं, जो कि एक सोचनीय विषय है. वैसे इसके तह में जाए तो पता चलेगा कि इसका मुख्य कारण फर्जी चिकित्सक एवं फर्जी तरीके से चलाए जा रहे नर्सिंग होम हैं. जिसमें वाकई कोई चिकित्सक होता नहीं लेकिन नाम दर्जनभर चिकित्सकों के लिखे होते हैं.
वस्तुस्थिति जो भी हो लेकिन आज भी लोग चिकित्सकों पर पूरा भरोसा करते हैं. क्योंकि उन्हें दूसरा जीवनदान धरती के ये दूसरे भगवान ही देते हैं. वैसे डॉक्टर्स डे स्वयं डॉक्टरों के लिए भी एक महत्वपूर्ण दिन होता है. जो उन्हें अपने चिकित्सकीय प्रैक्टिस को पुनर्जीवित करने का अवसर देता है. डॉक्टर जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंदों की मदद का जज्बा होता है,
जिसकी वे कसम भी खाते हैं. लेकिन इस विचार से पथभ्रमित होकर कुछ चिकित्सक अनैतिकता की राह पर चल पड़ते हैं. डॉक्टर्स डे के दिन डॉक्टरों को यह मौका मिलता है कि वे अपने अंतर्मन में झांके, अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझें और चिकित्सा को पैसा कमाने का पेशा न बनाकर मानवीय सेवा का पेशा बनाएं. तभी हमारा यह डॉक्टर्स डे मनाना सही साबित होगा.
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे
राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे पूरे भारत में 1 जुलाई को मनाया जाता है. जो कि पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय की याद में मनाया जाता है. उनका जन्म 1 जुलाई, 1882 को हुआ था और उसी दिन 1962 में उनकी मृत्यु हो गई थी. वह एक प्रख्यात चिकित्सक एवं समाजसेवी भी थे. इस दिवस पर उन्हें याद करते हुए चिकित्सकों को समाज की तरफ से विशेष सम्मान दिया जाता है.