CHHAPRA DESK – पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के शिष्य रहे पशुपति नाथ आर्य के बांसुरी के सुर निस्तब्ध हो गए. छोटे शहर से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनानेवाले पंडित पशुपति नाथ आर्य अचानक इहलोक से परलोक की यात्रा पर चले गए.
पशुपतिनाथ आर्य के कला की शुरुआत छपरा के गुरु चंपा दा के चरणों से हुई और अपने बांसुरी प्रेम के जुनून से वह पंडित हरि प्रसाद चौरसिया की चौखट तक जा पहुंचे. उन्होंने अपनी तपस्या से वह मुकाम हासिल किया जो विरले ही हासिल कर पाते हैं.
कंधे में बांसुरी लटकाए उन्होंने देश के तमाम शहरों से होते हुए लगभग 20 देशों की यात्रा कर डाली और भारतीय शास्त्रीय संगीत की दिव्यता की, अपनी बांसुरी के माध्यम से, उपस्थिति दर्ज कराई. साहित्यिक संस्था बज़्म-ए-सुहैल ने बुधवार को संस्था के सभागार में शोक सभा का आयोजन किया.
जिसमें शहर के साहित्य, कला व संस्कृति से जुडे़ लोगों ने हिस्सा लिया. भाग लेने वालों में शम्भू कमलाकर मिश्र, ज्योतिष पांडेय, मेहदी शा, रिपुंजय निशांत, वसीम रजा़, सुहैल अहमद हाशमी, पप्पू खान, एहसास जमील, शेख़ नसीरुद्दीन अहमद आदि उपस्थित रहे.