“पंखों से कुछ नहीं होता उड़ान हौसलों से होती है” इसे चरितार्थ कर रही जम्मू कश्मीर की दिव्यांग तीरंदाज शीतल

“पंखों से कुछ नहीं होता उड़ान हौसलों से होती है” इसे चरितार्थ कर रही जम्मू कश्मीर की दिव्यांग तीरंदाज शीतल

CHHAPRA DESK – सही कहा जाता है कि “मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंखों से कुछ नहीं होता उड़ान हौसलों से होती है”. इस उक्ति को अक्षरश: चरितार्थ करने में लगी है हमारे देश के जम्मू-कश्मीर की 15 साल की दिव्यांग बेटी तीरंदाज शीतल देवी. जम्मू-कश्मीर की 15 साल की तीरंदाज शीतल देवी के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उनका आत्मविश्वास कहीं बहुत बड़ा है.

वह कहती हैं कि भगवान ने मुझे दोगुना आत्मविश्वास और मेहनत/करने की ताकत दी है. इसी बल पर पैरालिंपिक में देश के लिए मेडल जीतन की उनकी जिद है. जिसे सच करने के लिए वे दाएं पैर से निशाना साधती हैं. वे साई द्वारा आयोजित एशियन गेम्स के ट्रायल में लगातार स्कोर कर रहीं हैं. शीतल के लिए कोच कुलदीप सिंह ने खास डिवाइस तैयार की है, जिसकी मदद से शीतल ने 8 महीने में नेशनल मेडल जीत लिया. कोच को विश्वास है कि वे पैरा गेम्स के लिए क्वालिफाई कर लेंगी.

शीतल ने एशियन पैरा गेम्स के ट्रायल में कंपाउंड केटेगरी में 1440 में से 360 पॉइंट हासिल किया है और वह टॉप स्कोरर भी हैं. खास बात यह है कि वह दाए पैर से बखूबी लिखती भी है. उन्हें पूर्ण आत्मविश्वास है कि वह पैरा एशियन गेम्स में मेडल जीतकर ही वापस लौटेंगी.

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