CHHAPRA DESK– शराब पीने के लिए कभी लाइन में नहीं लगे यह शरीर अब मुर्दा हैं. बिहार में शराबबंदी के बाद इन्हें गली-गली में शराब मिलने लगी. भले ही दाम महंगे हुए, लेकिन कभी लाइन नहीं लगनी पड़ी. लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि इस बार की होम डिलीवरी में उनके मौत का सामान आया है. जहरीली शराब के रुप में. मौतों का सिलसिला चालू हुआ तो थमने का नाम नहीं ले रहा. 3 दिनों में 36 लोगों का पोस्टमार्टम छपरा सदर अस्पताल में किया गया, जो कि सिर्फ जहरीली शराब से मरे.
जबकि सड़क हादसे व अन्य दुर्घटनाओं में भी एक दर्जन शवों का पोस्टमार्टम किया गया. ऐसी स्थिति में हालत यह हो गया कि पोस्टमार्टम कक्ष में रातोदिन शवों का पोस्टमार्टम किया जाने लगा. जहरीली शराब से मौत के तीसरे दिन भी रात्रि में पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर मुर्दे लाइन में लगे रहे. ताकि वे अपनी मौत का राज खोल सके. यह राज जिला प्रशासन के लिए है. क्योंकि, मरने वाला भी अपनी आंखों की रोशनी गवांने के समय समझ गया था कि जहरीली शराब उसकी मौत का कारण बन रहा है.
परिवार वाले भी इस बात को समझ गए. लेकिन नीतीश सरकार की किरकिरी भी बचानी है. ऐसे में प्रशासन के लिए जरूरी है कि शवों का पोस्टमार्टम कराया जाए. बाद में लीपापोती का खेल तो खेला ही जाएगा. वैसे यह खेल पहले भी खेला जा चुका है.