श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से बच्चे को लगाया गया कॉकलियर इंप्लांट ; बच्चे की लौटी वाक् एवं श्रवण क्षमता

श्रवण श्रुति कार्यक्रम की मदद से बच्चे को लगाया गया कॉकलियर इंप्लांट ; बच्चे की लौटी वाक् एवं श्रवण क्षमता

GAYA DESK – गया जिलाधिकारी कि अनोखी पहल पर किसी को सुनने को मिल रहा है, जिसका जीता जागता उदाहरण है पांच वर्षीय ऋृषभ. बीते पांच साल में वह ना तो वह एक शब्द सुन सका और ना ही समझ सका. इन सालों में उसके मा​ता-पिता को यही उम्मीद रही कि उनका बच्चा उन्हें कब पुकारेगा. लेकिन अब श्रवणश्रुति प्रोजेक्ट की मदद से माता-पिता के चेहरे पर उम्मीद की किरण है. श्रवणश्रुति कार्यक्रम की मदद से ऋृषभ के कानों की सर्जरी कर कॉकलियर इंप्लांट किया गया है.

 

बता दें कि श्रवणश्रुति कार्यक्रम की मदद से कम सुनने वाले या बहरेपन के शिकार बच्चों के कानों की जांच कर उनका आवश्यक ईलाज किया जाता है. गया जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन द्वारा इस कार्यक्रम का विशेष तौर पर अनुश्रवण कर कॉकलियर इंप्लांट कराये बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लिया जा रहा है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि कार्यक्रम की पहुंच को अधिक से अधिक बच्चों तक बढ़ायी जाये तकि कम सुनने वाले या बहरेपन के शिकार बच्चों को इस कार्यक्रम का पूरा लाभ मिल सके.

 

श्रवणश्रुति की मदद से हुआ कॉकलियर इंप्लांट

मोहनपुर प्रखंड के गुरियावां गावं के बैरागीटांड टोला निवासी और ऋृषभ के पिता चंद्रदीप दास बताते हैं कि उनका बच्चा जब छह माह का हुआ तब पाया कि पुकारने के बावजूद या किसी प्रकार के आवाज देने पर उनका बच्चा प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है. कई निजी डॉक्टरों से मिलने पर पता चला कि इसके लिए सर्जरी की जाती है. जिसमें काफी खर्च है. पैसे नहीं होने की मजबूरी के कारण ईलाज में बाधा आ रही थी.

 

 

इस बीच जब एक दिन वह मोहनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गये थे, जहां उन्होंने अपने बच्चे के बारे में डॉ इम्तेयाज और डॉ सुबोध से चर्चा की. इस चर्चा के दौरान ​डॉक्टरों ने उन्हें प्रभावती अस्पताल स्थित जिला अर्ली इंटरवेंशन सेंटर से संपर्क करने की बात बतायी. वहां जाने पर बच्चे के आवश्यक जांच के बाद बताया गया कि इसका कानपुर में सर्जरी किया जा सकेगा. इसके बाद जांच व ईलाज करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई.

 

वह बताते हैं कि शुरुआती जांच के बाद कानुपर भेजा गया जहां बच्चे के कानों की सर्जरी की गयी. फिलहार बच्चा पूर्व की तुलना में आवाज को थोड़ा-थोड़ा आभास कर पा रहा है. उनका कहना है कि इस कार्यक्रम की मदद से उन्हें आर्थिक तौर पर बड़ी मदद मिली है और इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को धन्यवाद दिया है.

बच्चों का चिन्हित कर किया जा रहा ईलाज

डीपीएम ​नीलेश कुमार ने बताया कि वर्तमान में अब जिला में लगभग नौ बच्चों का कॉकलियर इंप्लांट किया गया है. इसमें होने वाले सभी प्रकार के आवश्यक खर्च स्वास्थ्य विभाग द्वारा वहन किये जाते हैं. ऐसे कई बच्चों को चिन्हित करते हुए सूचीबद्ध किया जा रहा है. उनकी आवश्यक जांच के बाद डॉक्टरी सलाह के अनुसार कॉकलियर इंप्लांट किया जाता है.

 

साभार : धीरज गुप्ता

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