CHHAPRA DESK – मुख्यमंत्री सात निश्चय के अंतर्गत हर घर नल का जल योजना के तहत सभी घरों में स्वच्छ जल पहुंचाने का दावा कर रही है. लेकिन दावों की पोल गड़खा प्रखंड क्षेत्र के मीरपुर जुअरा पंचायत में ही खुल रही है. यहां सात निश्चय के तहत नल जल का काम जब शुरू हुआ तो गांव के लोगों में उम्मीद जगी कि अब नल से साफ पानी पी सकेंगे. काम शुरू हुए 3 साल बीत गए है लेकिन अबतक पानी नसीब नहीं हुआ है. हाल यह है कि नल से लोगों को प्यास भी नहीं बुझ पा रही है. जब नल के मेंटेनेंस के लिए प्रत्येक माह 30 रूपये वसूलने का वार्ड सदस्यों को निर्देश दिया गया है. लगातार नल जल को लेकर हो रहे हंगामा को दिखते हुए सरकार के स्तर से इसके रखरखाव के लिए एजेंसी नियुक्त कर दिया गया. लेकिन बीते 2 साल से अधिक हो गए है यहां ग्राम पंचायत के लगभग प्रत्येक वार्ड में काम अधूरा है. नल जल के नाम पर सिर्फ टंकी तो लगी है लेकिन जल नसीब नही हुआ है. मीरपुर जुअरा पंचायत के जिल्काबाद, टहलटोला मठिया, पंचभेड़ीया गांव में 5000 से अधिक आबादी वाला गांव है. जहां पर नल जल के नाम पर टंकी तो लगा दी गई है लेकिन अभी तक इन गांवों में ग्रामीणों को नल से जल नसीब नही हुआ है. नतीजन ग्रामीणों में प्रशासन के खिलाफ भारी नाराजगी है. लोगों को स्वच्छ पानी के लिए कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं.
नल लगने के बाद भी नहीं टपक रहा जल
डेढ़ हजार आबादी के लिए पंद्रह पंद्रह लाख की लागत से बना मीरपुर जुअरा वार्ड संख्या 2 , 6 का पानी टंकी दस महीना भी ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल देने में अक्षम रहा. गांवों में नल जल योजना ठप है. कही नल टूटा है तो कही पाइप तो कही मोटर जला है. इससे लोगों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।वार्ड सदस्यों ने बताया कि नए मुखिया बने है. यह कार्य पूर्व मुखिया और पूर्व वार्ड सदस्यों के मिलीभगत से सरकारी राशि का गबन कर कार्य को आधा अधूरा छोड़ दिया गया है. वार्ड सदस्यों का कहना है कि मेंटेनेंस कराने के लिए हमे एक रुपया नही मिला है ,और नही पूर्व वार्ड द्वारा रजिस्टर पंजी सौंपा गया है. नल जल योजना की हालत काफी खराब पहले से ही है।दो तीन बार पंचायत में चल रही योजनाओं की जांच के लिए जिला वरीय उपसमाहर्ता से लेकर गड़खा अंचल सीओ आए. लोगों ने अंचलाधिकारी से अपनी पीड़ा सुनाई ।लेकिन उनके जांच प्रतिवेदन किस अधिकारी के पास गया कि दो सप्ताह बाद भी कोई कार्रवाई नही की गई।यह एक पंचायत की बात नहीं है.यह तो एक बानगी है.
प्रत्येक वार्ड में नल जल के लिए औसतन 15 लाख रुपए खर्च किए गए
ग्रामीणों इलाकों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने एवं खासकर सुदूरवर्ती इलाकों में लोगों को हो रहे पानी की किल्लत को दूर करने को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री ने सात निश्चय योजना अंतर्गत ग्रामीण पेय जल निश्चय योजना शुरू की है. इस योजना के तहत हर घर नल का जल की व्यवस्था की गई लेकिन रखरखाव की व्यवस्था नहीं होने के कारण कई जगहों से आपूर्ति बंद है. ऐसे में सरकार के स्तर से इसके रखरखाव के लिए एजेंसी नियुक्त कर दिया गया.विदित हो कि इस योजना के तहत सूबे की विभिन्न पंचायत के प्रत्येक वार्ड में औसतन 15 लाख की लागत से बोरवेल,जल मीनार,पाइपलाइन आदि की व्यवस्था कर प्रत्येक घरों में पानी पहुंचाया गया है. योजना का क्रियान्वयन पीएचईडी एवं पंचायती राज विभाग ने किया है. पीएचईडी के माध्यम से की गई योजना में पांच साल के रखरखाव की भी व्यवस्था दी गई है. लेकिन पंचायत राज विभाग की योजना में रखरखाव की व्यवस्था नहीं दी गई. इस कारण कई जगह योजना बंद है. राज्य मुख्यालय के निर्देश पर जिले में प्रखंड स्तर पर योजना के रखरखाव के लिए एजेंसी नियुक्त कर दी गई है. प्रखंड में भी तीन एजेंसी को इस कार्य में लगाया गया है.