10 लाख का ईनामी नक्सली जोनल कमांडर सहयोगी के गिरफ्तार ; बिहार और झारखंड पुलिस को वर्षो से थी तलाश ; AK-56 और 97 राउंड गोलियां बरामद

10 लाख का ईनामी नक्सली जोनल कमांडर सहयोगी के गिरफ्तार ; बिहार और झारखंड पुलिस को वर्षो से थी तलाश ; AK-56 और 97 राउंड गोलियां बरामद

GAYA DESK- गया में कई वर्षो से फरार प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर अभिजीत यादव और उसके सहयोगी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार जोनल कमांडर अभिजीत पर 10.5 लाख का इनाम बताया जा रहा है. इनकी तलाश बिहार और झारखंड के पुलिस को वर्षों से थी. इस नक्सली के पास से AK-56 और 97 राउंड गोलियां बरामद की गई है. इस बात का खुलासा गया के एसएसपी हरप्रीत कौर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर की.

पप्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर अभिजीत यादव उर्फ बनवारी समेत दो नक्सलियों की गिरफ्तारी की गई है. जिसके पास से Ak- 56, 97 कारतूस, डेटोनेटर सहित कई प्रतिबंधित सामग्री बरामदगी हुई है. यह बिहार-झारखंड को मिलाकर साढे दस लाख का इनामी माओवादी है.

इसने बड़ी घटना के रूप में वर्ष 2016 में औरंगाबाद में हमला कर 7 सुरक्षाबलों को शहीद कर दिया था. एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि एसएसबी 29 बटालियन कमांडेंट एचके गुप्ता, असिस्टेंट कमांडेंट अमोद कुमार सहित कई पुलिस और पारा मिलिट्री के अधिकारियों नेतृत्व में गया पुलिस और सुरक्षाबलों की विशेष टीम बनाई गई थी. जिसके बाद धनगाई थाना अंतर्गत दुआरी के जंगल में सघन सर्च ऑपरेशन चलाया गया.

इसके बाद इनामी माओवादी जोनल कमांडर अभिजीत यादव की गिरफ्तारी की गई है नक्सली हमले में वर्ष 2016 में औरंगाबाद में 7 जवान शहीद हो गए थे. इस नक्सली हमले का नेतृत्व अभिजीत यादव उर्फ बनवारी कर रहा था. जोनल कमांडर अभिजीत यादव वर्ष 2009 से नक्सली संगठन में सक्रिय था और इसके खिलाफ बिहार और झारखंड में 61 से ज्यादा नक्सली कांड दर्ज है.

गिरफ्तार अभीजित यादव के पास से एक AK-56, 97 जिंदा कारतूस, 5 डेटोनेटर, 5 सिम कार्ड, लेवी की किताब, बैग सहित कई अन्य सामग्री की बरामदगी की गई है. शनिवार को प्रेस वार्ता में एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि अभिजीत यादव झारखंड में 10 लाख का इनामी माओवादी है. वहीं बिहार में इस पर 50 हजार का इनाम है. जोनल कमांडर अभिजीत यादव की गिरफ्तारी करने में बिहार और झारखंड की पुलिस पिछले 13 सालों से विफल थी‌ और इसकी गिरफ्तारी बिहार में एंटी नक्सल ऑपरेशन की बड़ी सफला मानी जा रही है. नक्सलियों के खिलाफ बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है.

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