Chhapra Desk- बिहार में भले ही प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन शिक्षण व्यवस्था बेपटरी है. कहीं छात्र हैं तो शिक्षक नहीं, कहीं शिक्षक है तो छात्र नहीं और कहीं विद्यालय है तो भवन नहीं. ऐसा ही हाल छपरा पारा मेडिकल कॉलेज का है.
छपरा सदर अस्पताल में पारा मेडिकल कॉलेज का भवन बनकर तैयार है. कॉलेज भवन का उद्घाटन होना बाकी है. इस कॉलेज को इसी वर्ष प्रारंभ किया जाना है जिसको लेकर पारा मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2021-22 के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है. लेकिन, अभी तक पारा मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों की ना तो बहाली हुई और ना ही नियुक्ति हुई है. और तो और किसी शिक्षक कि यहां प्रतिनियुक्ति भी नहीं है. लेकिन यहां 72 छात्र-छात्राओं का नामांकन भी हो चुका है. अब सवाल यह है कि इन छात्र-छात्राओं को पढ़ाएगा कौन और कैसे होगी उनकी प्रैक्टिकल ? उन सभी विद्यार्थियों का भविष्य फिलहाल अधर में लटका हुआ दिख रहा है और सभी विद्यार्थी फिलहाल फाडलों में ही पढ़ते हैं.
इन विषयों में हुआ है 72 छात्र-छात्राओं का नामांकन
छपरा सदर अस्पताल स्थित पारा मेडिकल कॉलेज में नामांकन के लिए 73 छात्र छात्राओं की सूची प्राप्त हुई थी. जिसमें पारा मेडिकल कॉलेज में फिजियोथैरेपी विषय में 27 छात्र-छात्राओं का नामांकन है. वही ऑक्यूपेशनल थेरेपी में 23 छात्र-छात्राओं का नामांकन है. जबकि ऑर्थोटिक्स एंड प्रोस्थेटिक्स विषय में 21 नामांकन है तथा दो ड्रेसर के लिए नामांकन होना था. जिसमें 72 छात्र छात्राओं के द्वारा एडमिशन लिया जा चुका है जबकि एक एडमिशन होना अभी बाकी है.
धरातल पर कुछ भी नहीं है फिलहाल
इस भवन में कोरोना काल के समय से ही कोविड वार्ड चल रहा है। पारा मेडिकल कॉलेज के एडमिनिस्ट्रेटिव भवन, पुरुष छात्रावास एवं महिला छात्रावास में कोविड वार्ड बनाया गया है, जहां कोरोना काल से ही वैक्सीनेशन किया जा रहा है. लेकिन अब जबकि पारा मेडिकल कॉलेज में 72 छात्र-छात्राओं का नामांकन हो चुका है तो कॉलेज का शुभारंभ कब और कैसे होगा यह कह पाना मुश्किल है. फिलहाल कागजों पर ही पढ़ाई चल रही है.
शिक्षण कार्य प्रारंभ नहीं होने के कारण हॉस्टल पड़े हैं खाली
पारा मेडिकल कॉलेज में शिक्षण का वर्ष 2021 22 प्रारंभ हो चुका है. 72 छात्र-छात्राओं के नामांकन भी हो चुके हैं लेकिन शिक्षण कार्य प्रारंभ नहीं होने के कारण अभी तक कोई भी विद्यार्थी यहां नहीं पहुंच सके हैं. जबकि यहां नामांकित छात्र छात्राओं के लिए अलग-अलग हॉस्टल बने हुए हैं. फलस्वरूप छात्र-छात्राओं के हॉस्टल भी अपने गुलजार होने का इंतजार कर रहे हैं.