CHHAPRA DESK – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बिहार के 64वे प्रदेश अधिवेशन के तीसरे दिन शनिवार 07 जनवरी को भव्य शोभा यात्रा निकाली गई. जिसमे पूरे प्रदेश से आए छात्र-छात्रा एवं शिक्षक शामिल हुए भारत माता की जय, वन्दे मातरम के नारों के साथ निकली. शोभा यात्रा के विहंगम दृश्य ने पूरे शहर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. यह शोभा यात्रा अधिवेशन स्थल महर्षि दधीचि नगर (राम जयपाल महाविद्यालय) से निकलकर थाना चौक, साहेबगंज, खनुआ, कटहरी बाग़, के रास्ते मेवालाल चौक होते हुए मौना नीम, मौना चौक से नगरपालिका चौक होते हुए योगिनिया कोठी के रास्ते कचहरी स्टेशन परिसर में पहुंचा. इस दौरान पूरे मार्ग में विभिन्न स्थानों पर सामाजिक संगठनों तथा शहर के लोगों ने पुष्पवर्षा कर प्रतिनिधियों का भव्य स्वागत व उत्साहवर्धन किया.
कचहरी स्टेशन परिसर में अभाविप के खुले अधिवेशन का आयोजन किया गया. इस दौरान छात्र नेताओं ने हुंकार भरी.
विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल, बिहार की प्रदेश अध्यक्ष डॉ ममता कुमारी, प्रदेश मंत्री अभिषेक यादव, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य समृद्धि सिंह राठौड़, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य आलोक कुमार, प्रदेश सह मंत्री मनीष पासवान तथा छपरा के नगर मंत्री रविशंकर चौबे ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर खुले अधिवेशन का शुभारंभ किया.
उद्घाटन के पश्चात खुले अधिवेशन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि छपरा की जनता ने छात्र तरुनाई का जो स्वागत किया है वो ऐतिहासिक है. हिंदुस्तान के स्वाभिमान तिरंगा को कभी झुकने नही देने के भाव के साथ परिषद कार्य कर रहा है. छात्राओं की सुरक्षा के लिए मिशन साहसी कार्यक्रम के माध्यम से स्वावलंबी और आत्मसुरक्षा का भाव जगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार में वर्तमान में उद्योग नहीं है जो पूर्व के समय में काफी समृद्ध था. लेकिन अब बिहार को कुर्सी कुमार की नजर लग गई. उन्होंने कहा कि बिहार की व्यवस्था लाचार है, कुर्सी का भूखा सरदार है.
बिहार में अपहरण उद्योग संचालित हो रहा है। एक साल में हजारों मामले सामने आए है. सारण के बगल के जिले में जैसा अपराध का तांडव चलता था उसे भी परिषद के कार्यकर्ताओं ने समाप्त कराया था.
इस प्रदेश का सिस्टम लाचार हो गया है. 2012 से 2022 तक बीपीएससी पेपर लीक का उद्योग भी बिहार में चल रहा है. सत्ता के लोलूपो ने बिहार के छात्रों का भविष्य गर्त में पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि जो 5 लाख पद पहले से रिक्त है उसे कब भड़ेगे ये बताने कि जगह 10 लाख नौकरी देने का झांसा सोने की चम्मच लेकर पैदा हुए युवराज बिहार के युवाओं को दे रहें है. कोरोना में बिहार के लोग पैदल चले. 75 साल में आखिर ऐसी नीति क्यों नही बनी कि लोग बिहार से बाहर प्रवासी के रूप में रहने के लिए विवश हैं. बिहार से पलायन रोकने के लिए सरकार की क्या योजना है? इसे बताना होगा. देश में हर तीसरा बेरोजगार बिहारी छात्र होता है. 3 साल की डिग्री 5 साल में मिल रही है. विश्वविद्यालय में पद खाली है. प्रभारी कुलपति, कुलसचिव के माध्यम से विश्वविद्यालयों की व्यवस्था चल रही है. अब इसे रोकने के लिए अभियान चलाना होगा. गूंगी बहरी सरकार को जगाने के लिए शंखनाद करने की जरूरत है. उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि आप सभी कमर कसो, बिहार के बदलाव का वाहक बनो.
उन्होंने कहा कि यहां की सरकार शराब पर विधानसभा में चर्चा करती है पर शिक्षा व्यवस्था में कैसे सुधार आए इसपर कोई चर्चा नहीं करती. बिहार की शिक्षा के विकास के लिए हम सब को साथ आना होगा. हम सभी एक नूतन बिहार की संकल्पना के साथ इस अधिवेशन से वापस जायेंगे. वहीं प्रदेश मंत्री अभिषेक यादव ने कहा कि कभी ज्ञान के लिए पहचाने जाने वाले बिहार की शैक्षणिक स्थिति बदतर है. विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार है. प्राथमिक विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आभाव है. हजारों करोड़ खर्च करने के बाद भी संसाधनों की कमी है. प्राथमिक शिक्षा विकसित हो ना हो नेता और अधिकारी मालमाल हो रहें हैं. शिक्षकों और संसाधनों के आभाव में महाविद्यालयों के प्रयोगशालाएं नही खुली है.
राजभवन भ्रष्टाचारियों के गिरोह को संरक्षण दे रहा है. भ्रष्ट पदाधिकारियों की नियुक्ति विश्वविद्यालयों में की जा रही है. बिहार के छात्र बेरोजगार हैं और इसपर किसी का ध्यान नहीं है.
जबकि राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य आलोक कुमार ने कहा कि सत्ता में बैठे लोग उच्च शिक्षा को गर्त में मिलाने में जुटे है जो दुर्भाग्यपूर्ण हैं. राज्य के महामहिम और मुख्यमंत्री शिक्षा को बदहाल बना रहें है. 3 साल में मिलने वाली डिग्रियां 5 साल में मिल रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है. यदि राज्य के विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा व्यवस्था नहीं मिलेगी तो परिषद जिम्मेदार लोगों की ईंट से ईंट बजाने का कार्य करेगा. बिहार के छात्र दूसरे प्रदेश में जाकर पढ़ रहें हैं. राज्य में कोई परीक्षा सही से संपन्न नही हो रही है. छात्रों द्वारा रोजगार मांगने पर इन पर लाठियां बरसाया जा रहा है.
राज्य के परीक्षार्थियों को परीक्षा के पत्र लीक होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. परीक्षा में सेटिंग की परम्परा को राज्य सरकार रोकने में विफल है. बिहार के विश्वविद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं. महाविद्यालय, विश्वविद्यालयों में छात्रों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। सत्ता में बैठे लोगों को इसकी चिंता तक नहीं है. सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य समृद्धि सिंह राठौड़ ने कहा कि हम आजादी के 75 वर्ष पूर्ण कर के अमृत वर्ष मना रहें पर क्या महिलाओं को आजादी मिली है? महिलाओं को नेतृत्व का मौका नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने सभी से नारी सम्मान के लिए आगे आने की अपील की.
खुला अधिवेशन को संबोधित करते हुए प्रदेश सह मंत्री मनीष पासवान ने कहा कि सीमांचल क्षेत्र में अपराध चरम पर है. लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले लोग इस पर मौन है. अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए वर्तमान की सरकार कोई कदम नहीं उठा रही जो आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है. छपरा के नगर मंत्री रवि शंकर चौबे ने अपने संबोधन में कहा कि छपरा की यह भूमि त्याग के साथ-साथ क्रांति की भी भूमि है. बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ क्रांति का विगुल इस धरती से फूंक दिया गया है, अब परिवर्तन होकर रहेगा. इसके पश्चात उन्होंने इस अधिवेशन में आए बिहार के सभी प्रतिनिधियों, गणमान्य प्रबुद्धजनों, शिक्षाविदो तथा पत्रकार बंधुओं व छपरा की आम जनमानस को धन्यवाद ज्ञापित किया. सभा का संचालन संचालक समिति की सह नियंत्रक निशा सिंह ने किया.