भारत का दूसरा ताजमहल जिसे कहा जाता है छोटा ताजमहल/डच मकबरा ; 300 वर्ष पुराना है इतिहास

भारत का दूसरा ताजमहल जिसे कहा जाता है छोटा ताजमहल/डच मकबरा ; 300 वर्ष पुराना है इतिहास

CHHAPRA DESK – आपने अभी तक उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित ताजमहल को ही देखा है. जबकि ऐसा ही एक मकबरा बिहार के छपरा में भी है, जिसे छोटा ताजमहल या डच मकबरा के नाम से जाना जाता है. जो कि आगरा के ताजमहल की वास्तुकला पर ही आधारित बनाया गया है. मगर पर्यटन विभाग की अनदेखी के कारण खंडर में बदलता जा रहा है. बताया जाता है कि यह मकबरा करीब 300 वर्ष पुराना है. सारण के इतिहास में इसे डच मकबरा के नाम से भी जानते हैं.

यह मकबरा छपरा जंक्शन से पश्चिम 03 किलोमीटर की दूरी पर कारिंगा गांव में स्थित है. हालांकि, शहर से इतना पास होने के बाद भी आज तक इस मकबरे से जीर्णोद्धार के लिए कोई सार्थक पहल नहीं किया गया है. डच मकबरे के जीर्णोद्धार के लिए कई बार कोशिश की गयी. सारण के पूर्व जिलाधिकारी दीपक आनंद से लेकर डॉक्टर नीलेश रामचंद्र देवड़े ने भी इस मकबरे के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार के पत्र लिखा.

इसके बाद पुरातत्व विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर जांच किया गया. मगर कुछ बेहतर कार्य नहीं किया जा सका. अब वर्तमान जिलाधिकारी अमन समीर ने भी इस मकबरा का निरीक्षण कर उसके जीर्णोद्धार के लिए पहल शुरू की है. लेकिन उदासीनता के कारण यह आज खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. अगर पर्यटन विभाग इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करें तो आगरा के ताजमहल के बाद यह दूसरा पर्यटन स्थल हो सकता है और इससे लाखों लोगों को रोजगार भी मिल सकता है.

डच और पुर्तगालियों ने छपरा में बनाया था व्यवसाय का केंद्र

डच और पुर्तगालियों ने छपरा में अपने व्यापार का केंद्र स्थापित किया था. इस बात की जानकारी सारण राजपत्र में छपे एक लेख से मिलती है. बताया जाता है कि जलीय मार्ग से व्यापार का छपरा भी एक मुख्य केंद्र हुआ करता था. डच और पुर्तगाली छपरा को एक केंद्र के रुप में देखते थे.

आलेख के अनुसार छपरा का कारिंगा हिस्सा 1770 तक डच लोगो के अधीन था. नमक के व्यापार के लिए छपरा को केंद्र सत्यापित था. व्यापार के क्रम में यहां रहते हुए एक डच गवर्नर जैकबस वान हार्न की असमय मृत्यु हो गयी. इसके बाद इसके मकबरे का निर्माण कराया गया. आसपास के लोग इसे छोटा ताजमहल भी बुलाते हैं.

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