CHHAPRA DESK – भारत का एक जिला ऐसा है जिसे सामूहिक आ-त्मह-त्या का जिला कहा जा सकता है. क्योंकि, यहां सर्वाधिक सामूहिक आ-त्मह-त्या होती हैं. आपको बता दें कि वह राजस्थान का बाड़मेर जिला है. बाड़मेर जिला के मरुस्थलीय गांवों में सामूहिक बाड़मेर जिला का ट्रेंड सा चल पड़ा है. यहां 7 साल में 414 परिवारों में लोगों ने जान दे दी है. यहां महिलाएं अपने बच्चों के साथ एक साथ खुदकुशी करती हैं.
अकेलापन, उपेक्षा और सरकार की उदासीनता से जीने की इच्छा हो रही समाप्त
राजस्थान के बाड़मेर शहर से दूरदराज रेतों में बसे इन गांवों में रहने वाली महिलाएं अकेलेपन का सबसे ज्यादा शिकार हैं. जाति और गांव की कठोर परंपराओं से उनकी हालत और खराब रहती है. इन इलाकों में न सुविधाएं हैं और न सरकारी योजनाएं पहुंची हैं. इस इलाके में बढ़ती आत्महत्याओं की ये सबसे बड़ी वजहें मानी जा रही है. इसी शहर के बावड़ी कलां गांव में टांका (कुआं) मिट्टी से भर रखा गया है.
स्थानीय लोगों की माने तो 4 वर्ष पहले इसमें कूदकर एक मां ने 4 से 13 साल की 6 बेटियों के साथ जान दी थी. तभी से इस मनहूस कुएं को बंद कर दिया है. बाड़मेर में पाक सीमा से सटे गांव-ढाणियों में ऐसे कई ‘मनहूस’ टाके हैं. पुलिस का मानना है कि देश में सर्वाधिक सामूहिक आत्महत्या यहीं होती हैं. हर दूसरे माह टॉकों से मां- बच्चों के 4-6 शव निकाले जाते हैं.
बीते वर्षो में इन गांवो में इतनी महिलाओं ने की आ-त्मह-त्या
वर्ष 2015 में 67
2016 में 50
2017 में 39
2018 में 25
2019 में 48
2020 में 54
2021 में 64
2022 में 67