CHHAPRA DESK – एक तरफ स्वास्थ्य विभाग की बिल्डिंग 100 करोड़ से बनाई जा रही है. मिशन-60 के तहत चकाचक किया जा रहा है. ताबड़तोड़ अफसरों का निरीक्षण हो रहा है,लेकिन चिकित्सकों, नर्स, कंपाउडर और कर्मचारियों की घोर कमी अभी भी है. ऐसे में सदर अस्पताल में बेहतर इलाज हो यह कैसे संभव है? यहां पर जरुरत के हिसाब से 50 फीसद भी न तो डाक्टर है न ही कर्मी. मरीजों की तदाद पहले की तुलना में ढ़ाई गुना ज्यादा है. ऐसे में बेहतर इलाज की कल्पना कैसे की जा सकती है.
210 जीएनएम के स्वीकृत पद मात्र 72 कार्यरत ; 48 जीएनएम ने दी ट्रांसफर की अर्जी
छपरा सदर अस्पताल में 210 जीएनएम का पद स्वीकृत हैं, लेकिन 72 ही कार्यरत हैं. बाकी के पद कई वर्षों से खाली पड़े हुए हैं. इसमें 48 नर्साें ने मिलकर एक साथ ट्रांसफर के लिए अर्जी सिविल सर्जन को दी है. अगर सिविल सर्जन के द्वारा उन सब का ट्रांसफर स्वीकृत किया जाता है तो महज 24 नर्स बच जायेगी लेकिन कोई उम्मीद नहीं थी उनके जगह पर कोई जीएनएम आएगी. क्योंकि 2022 में सात नर्सों का ट्रांसफर हो चुका है, लेकिन उनकी जगह पर कोई नर्स नहीं आई. इसका कारण है कि ये सभी नर्से दूसरे जिला की रहने वाली है.
ऐसे में समय पूरा होने के बाद ट्रांसफर के लिए अर्जी दी है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन के पास विकल्प ही नहीं है. सिस्टम चरमरा जा सकती है. अस्पताल वर्कर के लिए 25 सीटें हैं, लेकिन मात्र 9 ही कार्यरत हैं. सेनेटरी वर्कर का 15 पद सृजित है. फिर भी कार्यरत के नाम पर एक भी नहीं है. इसी तरह 5 कपाउंडर की जगह 2 ही है. वहीं स्टाफ नर्स व ओटी सहायक के 5-5 पद के नाम पर दो ही कार्यरत है. वही एनेस्थेटिक चिकित्सक के 9 पदों पर मात्र एक डाक्टर उपलब्ध है, जिसके सहारे ओटी चलाया जा रहा है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
कई वर्षों से चिकित्सकों की कमी है. इसको लेकर विभाग को समय-समय पर अवगत कराया गया है. पत्राचार भी किया गया. नर्स द्वारा ट्रांसफर के लिए अर्जी दी गई है. आवेदन विचाराधीन है. अगर उनके द्वारा उनका ट्रांसफर स्वीकृत किया जाता है तो अस्पताल के कई विभागों में ताला लटक सकता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का आदेश है.