गुरु पूर्णिमा में गुरु पूजन व गुरु दक्षिणा मे समर्पण ही हमारी संस्कृति का सार है : रामकुमार

गुरु पूर्णिमा में गुरु पूजन व गुरु दक्षिणा मे समर्पण ही हमारी संस्कृति का सार है : रामकुमार

CHHAPRA DESK – हिंदू धर्म में गुरु का स्थान सबसे बड़ा है. पौराणिक काल में गुरु का स्थान देवताओं से ऊपर बताया गया है. गुरु के बिना ज्ञान की कल्पना नहीं की जा सकती है. गुरु के अंदर भी विकार उत्पन्न हो सकते है. ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा भगवा ध्वज को अपना गुरु माना गया. गुरु पूर्णिमा उत्सव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक महत्वपूर्ण उत्सव है.

जिसमें सभी स्वयंसेवक भगवा ध्वज के समक्ष अपना समर्पण राशि अर्पित करते हैं. उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी रामकुमारजी ने छपरा शहर के स्नेही भवन में आयोजित गुरु दक्षिणा उत्सव पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि सभी स्वयंसेवक वर्ष में एक बार अपना समर्पण राशि भगवा ध्वज के समक्ष अर्पित करते हैं.

गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए इस उत्सव पर प्रकाश डालें. वैसे गुरु के विषय में संत कबीरदास ने लिखा है कि – गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है.

पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. गुरु दक्षिणा उत्सव में भाजपा विधायक डॉ सीएन गुप्ता के साथ शहर के अनेक गणमान्य लोग एवं स्वयंसेवक बंधु उपस्थित रहे.

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