CHHAPRA DESK – सारण जिले के गड़खा प्रखण्ड के गड़खा और नराव स्थित सूर्य मंदिर अपनी भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए बिहार समेत अन्य राज्यों में प्रसिद्ध है. छठ व्रत करने के लिए जिले के विभिन्न क्षेत्रों एवं राज्यों के साथ विदेश से भी छठ व्रती यहां छठ पूजा के लिए आते है. गंडकी नदी के तट पर अवस्थित कैलाश धाम आश्रम परिसर में बना यह सूर्य मंदिर अपनी भव्यता के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है. इस मंदिर में प्रतिमा की ऊंचाई 45 फीट लंबी है, जो आकर्षण का केंद्र है. इस मंदिर में सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं.
इस मंदिर के महंथ प्रकाश दास एवं पुजारी रकम लाल दास ने बताया कि सारण जिला का सूर्य मंदिर गरखा प्रखंड में ही अवस्थित है. पहला नारांव स्थित सूर्य मंदिर है. जबकि दूसरा कैलाश धाम अवस्थित यह सूर्य मंदिर है. जो की गंडकी नदी के तट पर है. इस मंदिर में आने वाले भक्तों की भगवान सूर्य मुरादे पूरी करते हैं. जिसके कारण देश के कोने-कोने से श्रद्धालु तो जुटते ही हैं. इसके साथ ही पड़ोसी देश नेपाल से भी यहां लोग छठ व्रत करने के लिए आते हैं और पूरी रात गंडगी नदी के तट पर पूजा अर्चना के बाद उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद यहां से विदा होते हैं. जिसकी तैयारी को लेकर समिति के लोग लगे हुए हैं. यह मंदिर सूर्यदेव के सजीव रूप में निर्मित है.
रथ में जुते सात घोड़े 7 दिनों के हैं प्रतीक
इस सूर्य मंदिर में सात घोड़े से खींचे जाते हुए सूर्य देव के रथ को दिखाया गया है. पश्चिम की ओर जाते हुए सात घोड़े सप्ताह के 7 दिन के प्रतीक हैं और भगवान सूर्य की प्रतिमा मंदिर को भव्यता प्रस्तुत करते हैं. मन्दिर के सबसे ऊपरी हिस्से में स्वयं हनुमानजी विराजमान हैं. यहां हजारो छठ वर्ती अर्घ देने के लिए आते हैं. छठ के समय इस मंदिर का काफी महत्व है. मंदिर का नींव 2013 में संत श्रीधर दास जी महाराज ने दिया था. वर्ष 2015 में ग्रामीणों के सहयोग से मार्कंडेय महायज्ञ का आयोजन हुआ और इसी क्रम में 28 मई को श्रीधर दास महाराज के नेतृत्व में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. तब से यह मंदिर का महत्व भारत सहित अन्य देशों में भी है.
जिले का पहला सूर्य मंदिर भी गड़खा में है
सारण जिले का पहला सूर्य मंदिर भी गड़खा प्रखंड में ही स्थित है. कोठियां नराव में स्थित यह सूर्य मंदिर अपनी भव्यता और धार्मिक गरिमा से परिपूर्ण है. लोक आस्था का महापर्व छठ के मौके पर इस मंदिर की श्रीविधि होती है और राज्य के विभिन्न जिले से छठव्रती यहां अर्घ प्रदान करने पहुंचते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु सूर्य देव को काफी जाग्रत बताते हैं.