“मुट्ठी भर ख़ाक” नाटक की दमदार प्रस्तुति से कालिदास रंगालय तालियों से गूंजा

“मुट्ठी भर ख़ाक” नाटक की दमदार प्रस्तुति से कालिदास रंगालय तालियों से गूंजा

PATNA DESK – द क्रिएटिव आर्ट थिएटर वेलफ़ेयर सोसाइटी, पटना द्वारा एस शफ़ी मशहदी लिखित एवं सैयद अता करीम निर्देशित नाटक “मुट्ठी भर ख़ाक” की दमदार प्रस्तुति कालिदास रंगालय, पूर्वी गांधी मैदान पटना में की गई. कार्यक्रम की शुरूआत उद्घाटनकर्ता एस शफ़ी मशहदी, ख्याति प्राप्त शायर, मुख्य अतिथि अभय कुमार उपाध्याय, पूर्व डी0जी0पी0, बिहार तथा विशिष्ट अतिथि डा0 किशोर सिंन्हा, वरिष्ठ साहित्यकार/नाटककार, इम्तियाज़ अहमद करीमी, पूर्व अध्यक्ष बिहार लोक सेवा आयोग, अरूण कुमार सिन्हा, उपाध्यक्ष एवं कुमार अभिषेक रंजन महासचिव, बिहार आर्ट थियेटर, पटना, अशोक भाष्कर पाण्डेय, सीआरएम यूनाईटेड इण्डिया इंश्योरेन्स कम्पनी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया.

‘‘मुट्ठी भर ख़ाक” की कहानी ऐतिहासिक त्रासदी की कहानी है, जिस ने मुल्क के साथ ख़ानदानों को भी बाँट दिया. ये कहानी है मौलवी बशीर और पंडित हरिशंकर की दोस्ती की. मौलवी बशीर का छोटा भाई डा. मुनीरूल हसन जो पच्चीस वर्षों बाद हिन्दुस्तान आया है और यहाँ के हालात देख कर अपना बीज़ा ख़त्म होने के बाद लौटने के क्रम में अपने बड़े भाई मौलवी बशीर और भाभी को ज़बरदस्ती पाकिस्तान चलने का ज़िद पकड़ लेता है. छोटे भाई की ज़िद और मोहब्बत ने जब मौलवी बशीर को वतन छोड़ने पर मजबूर कर दिया, तो वह अपने गाँव की ‘‘मुट्ठी भर ख़ाक” ले कर जाने को तैयार तो हो गया, मगर ख़ाके वतन की ख़ुश्बू , उस की मोहब्बत और पंडित हरिशंकर की दोस्ती ने उस के पाँव थाम लिए और फिर डा. मुनिरूल हसन को तन्हा लौट जाना पड़ा. दरअसल ये कहानी है उस छोटे से चिराग़ की जो नफ़रतो की गहरी तारीकी का सीना चीर कर मोहब्बतों की रौशनी से दुनिया को मनव्वर कर देता है.


मौलवी बशीर की भूमिका में नाटक के वरिष्ठ निर्देशक सैयद अता करीम ने अपने अभिनय से दर्शकों में अपनी अमिट छाप छोड़ डाली, पंडित हरिशंकर शर्मा की भूमिका में जाने माने रंगकर्मी कुमार मानव नें दमदार अभिनय कौशल का परिचय दिया, डा0 मुनीरूल हसन के चरित्र को जाने माने वरिष्ठ रंगकर्मी सैयद रिज़वानउल्लाह ने पूरी तरह जीवंत कर दिया. बेगम की भूमिका को शशिकला ने बेहद खूबसूरती से अदा किया। सरजू का विजय कुमार चौधरी, शरफ़ू का राजकिशोर पासवान, अज़ीज़ का कुमुद रंजन (लेखू) तथा व्यक्ति की भूमिका में वरिष्ठ कलाकार कृष्णा लाल तथा सदरूद्दीन ने अपने अपने किरदार को बखूबी निभाया. कुल मिलाकर नाटक दर्शकों में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा.

मंच से परे कलाकारों में संगीत संचालन डाॅ किशोर सिन्हा, प्रकाश संचालन राजीव राय, मंच परिकल्पना अंज़ारूल हक़/बलराम कुमार, रूप सज्जा शषांक घोष, मीडिया प्रभारी विश्वमोहन चौधरी ‘संत’ तथा राकेश रमन देशप्रेमी विडियोग्राफी/स्टील छोटू असलम ने किया. नाटक को सफल बनाने में सरबिन्द कुमार, भुनेश्वर कुमार, कृष्णा लाल, वीरेन्द्र कुमार, पृथ्वीराज पासवान, मानसी कुमारी एवं मयंक कुमार ने भी पूरी तरह सहयोग प्रदान किया.

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