CHHAPRA DESK – किसी भी थाना के लिए मालखाना एक महत्वपूर्ण अंग होता है, जहां थाना द्वारा जब्त प्रदर्थों को सुरक्षित रखा जाता है. ऐसी स्थिति में मलखाना का प्रभार एक बहुत ही जिम्मेवार पद होता है. लेकिन इसका प्रभार लेने में सभी कतराते हैं. वस्तुत: मालखाना का प्रभार थानेदार के पास ही होता है, लेकिन सारण में थानेदार मलखाना का प्रभार लेते ही नहीं है. हाल वही है कि थानेदारी मिले तो बल्ले-बल्ले और मालखाना के लिए आनाकानी. ऐसी स्थिति में मालखाना का प्रभार लेने के लिए विवाद तो लाजमी है. मलखाना थाना का एक प्रमुख अंग होने के बाद भी इसका प्रभार लेना कोई पुलिसकर्मी नहीं चाहता है. क्योंकि, यह बहुत ही जवाबदेही का पद हो जाता है. मालखाना का प्रभार लेने को लेकर अवर पुलिस निरीक्षकों के बीच मतभेद भी हो जाता हैं. तकरार हो जाता है. इससे सारण भी अछूता नहीं है. वहीं अवर निरीक्षकों का तबादला समय-समय पर एक थाने से दूसरे थाने में होते रहता है. ऐसी स्थिति में दूसरी जगह जाने के बाद प्रभार देने की बात हो यहां नए स्थान पर प्रभार लेने की बात हो तो सभी कतराते रहते हैं.
थानेदारी के साथ मालखाना का प्रभार लेना भी होता है अनिवार्य
पुलिस थाने में मालखाने का अपडेट होना महत्वपूर्ण माना जाता है. पुलिस हस्तक नियम 78 के अनुसार मालखाना का प्रभार थानाध्यक्ष के पास ही रहना है. मलखाना का प्रभार उन्हें हर हाल में ग्रहण करना है. जबकि सभी थाना अध्यक्ष अथवा ओपी अध्यक्ष मालखाना का प्रभार लेने में आनाकानी करते हैं. या यूं कहें कि मलखाना का प्रभार लेते ही नहीं हैं. सारण में किसी थानेदार के द्वारा मालखाना का प्रभार तो लिया ही नहीं जाता है. जबकि पुलिस महानिदेशक ने यह स्पष्ट किया है कि जो पुलिस पदाधिकारी मालखाना का प्रभार नहीं लेना चाहता है, उन्हें थानाध्यक्ष नहीं बनाया जाए. इस बाबत बिहार के पुलिस महानिदेशक ने सभी जिलों के एसपी को पत्र लिखकर आदेशित भी किया है कि सभी थाना अध्यक्ष अथवा ओपी अध्यक्ष को मलखाना का प्रभार लेना सुनिश्चित करावें.