उर्वरक अनुज्ञप्ति को ले आयोजित 15 दिवसीय समेकित पोषक तत्व प्रबंधन प्रशिक्षण के समापन पर जिले के 40 प्रशिक्षणार्थियों को दिया गया प्रमाण-पत्र

उर्वरक अनुज्ञप्ति को ले आयोजित 15 दिवसीय समेकित पोषक तत्व प्रबंधन प्रशिक्षण के समापन पर जिले के 40 प्रशिक्षणार्थियों को दिया गया प्रमाण-पत्र

CHHAPRA DESK –  सारण जिले के मांझी प्रखंड स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में 21 अगस्त से 04 सितंबर तक खाद के लाइसेंस के लिए आयोजित पंद्रह दिवसीय समेकित पोषक तत्व प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल समापन आज किया गया. इस प्रशिक्षण में सारण जिले के कुल बारह प्रखण्ड के 40 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया. 15 दिवस से चल रहे इस कार्यक्रम मे प्रशिक्षणार्थियों को पोषक तत्व से संबंधित विषय पर विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वैज्ञानिकों साथ ही सारण जिले के कृषि से संबंधित पदाधिकारियों के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया साथ ही एक दिवसीय प्रक्षेत्र दिवस का भी आयोजन किया गया.

समापन अवसर पर 37 प्रशिक्षणार्थियों को सर्टिफिकेट का वितरण किया गया साथ ही वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ संजय कुमार राय ने कहा कि पोषक तत्व प्रबंधन स्थाई पद्धति है जो पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति को मिट्टी और फ़सल की आवश्यकताओं के साथ संतुलित करती है ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके और पर्यावरण की रक्षा हो सके. उन्होंने आगे बताया कि इसमें जैविक और रसायनिक उर्वरकों, खाद, हरी खाद और जैव उर्वरकों का एकीकृत उपयोग शामिल है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने, फ़सल की गुणवत्ता और पैदावार में सुधार करने के साथ साथ पर्यावरण प्रदूषण को भी कम करने में मदद करता है.

साथ ही उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से अनुरोध किया कि यहाँ से सीखे ज्ञान से वह बाक़ी किसानों को भी जागरूक करें और पर्यावरण में संतुलन बनाए रखे हैं ताकि आने वाली पीढ़ी भी हमारे प्राकृतिक संसाधनों का अच्छी तरीक़े से उपयोग कर सके. उद्यान विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र चंद्र चंदोला ने “समेकित” शब्द का अर्थ विस्तार से समझाते हुए बताया कि पोषक तत्व प्रबंधन में जैविक, रसायनिक और स्थानीय संसाधनों का संतुलित उपयोग ही खेती को टिकाऊ बना सकता है. डॉ. सुषमा टम्टा ने बताया कि एक मुट्ठी मिट्टी में लाखों सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं.

जिनको हमें संरक्षित करना बहुत ही ज़रूरी है तथा वो कम जुदाई तथा फसलों की सीधी बुआई द्वारा किया जा सकता है. डॉ. विजय कुमार ने मिट्टी की जाँच पर विशेष ध्यान देने की बात कही। कार्यक्रम के अंत में शामिल प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि वो भी किसानों को रासायनिक खादों का समेकित उपयोग करने एवं जैविक उर्वरकों का उपयोग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. कृषि विज्ञान केन्द्र, मांझी से अमितेश कुमार गौरव, रामा रंजन, राकेश कुमार, अंकित मिश्रा, अवनीश पांडेय, संतोष कुमार ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना सहयोग दिया.

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