बिहार विधानसभा चुनाव : दो दिग्गजों के बीच पीके की पोल खोल से गरमायी राजनीति ; क्या यह हो सकता है विकल्प

बिहार विधानसभा चुनाव : दो दिग्गजों के बीच पीके की पोल खोल से गरमायी राजनीति ; क्या यह हो सकता है विकल्प

SARAN DESK –  बिहार की राजनीति हमेशा से अपनी विशिष्ट जटिलताओं, जातीय समीकरणों, सामाजिक विषमताओं और जनभावनाओं के उतार-चढ़ाव के लिए जानी जाती रही है. इस राज्य में चुनाव सिर्फ एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन के समान होता है, जहां हर वर्ग, हर समुदाय और हर क्षेत्र अपने-अपने मुद्दों के साथ सामने आता है. ऐसे परिदृश्य में प्रशांत किशोर और उनका जन-आंदोलन जनसुराज पिछले कुछ वर्षों में एक नई सोच और ऊर्जा लेकर उभरा है, जिसने बिहार की राजनीतिक बहस को नई दिशा दी है. प्रशांत किशोर का दागी नेताओं का पोल खोल रिपोर्ट और मुद्दों पर चर्चा सरकार को भी सोचने पर मजबूर कर दे रहा है. वेतन वृद्धि हो, पेंशन हो अथवा 125 यूनिट बिजली निशुल्क हो बिहार सरकार को बाध्य होकर इसे लागू करना पड़ गया है.

जनसुराज : एक आंदोलन से राजनीतिक विकल्प तक

प्रशांत किशोर ने 2021 में जब जनसुराज यात्रा की शुरुआत की, तब बहुत से लोगों ने इसे महज़ एक प्रचार अभियान या राजनीतिक प्रयोग के रूप में देखा. कई लोगों ने इसे सत्ता के किसी बड़े खेल का हिस्सा बताते हुए बी टीम करार दिया. लेकिन समय के साथ किशोर ने इस धारणा को गलत साबित किया. उन्होंने बिहार के सुदूर ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी केंद्रों तक लगातार यात्रा कर लोगों से प्रत्यक्ष संवाद किया. इस तीन वर्ष लंबी यात्रा के दौरान उन्होंने न केवल समस्याओं को सुना बल्कि समाधान पर चर्चा की, जिससे जनता के बीच उनका एक भरोसेमंद चेहरा उभरा. जनसुराज का सबसे बड़ा आकर्षण यह रहा कि यह सिर्फ सत्ता प्राप्ति का अभियान नहीं बल्कि सुव्यवस्था, सुशासन और सुशिक्षा जैसे मूलभूत मुद्दों पर आधारित एक सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन है. इसमें युवा, शिक्षक, किसान, महिलाएं और बुद्धिजीवी बड़ी संख्या में जुड़े हैं.

रणनीतिक समझ और चुनावी अनुभव का लाभ

प्रशांत किशोर का बिहार की सामाजिक बनावट, जातीय समीकरण और चुनावी पैटर्न का गहरा ज्ञान किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उन्होंने भारत के कई राज्यों में चुनावी अभियानों को सफलतापूर्वक संचालित किया है और उनकी रणनीति ने कई बार राजनीति की दिशा बदल दी है. यही अनुभव अब वे अपने गृह राज्य बिहार में प्रयोग कर रहे हैं. उनकी प्रोफेशनल और तकनीकी टीम डेटा, सर्वेक्षण और जमीनी फीडबैक के आधार पर अभियान तैयार करती है. यह टीम गांव-गांव, पंचायत-पंचायत में जाकर जनसंपर्क करती है. जनसुराज की चुनावी रणनीति में न केवल पारंपरिक प्रचार माध्यम बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी प्रभावी उपयोग किया जा रहा है. यह आधुनिकता और परंपरा का समन्वय जनसुराज को अन्य क्षेत्रीय दलों से अलग बनाता है.

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