
SARAN DESK – गंगा, सरयू और सोन नद के संगम पर स्थित परम तीर्थ चिरांद में पान कार्तिक मास की एकादषी एवं द्वादषी की तिथि विषेष रही. एकादषी को देव आह्वान के साथ यज्ञ प्रारंभ हुआ और द्वादषी को देवों की आहूति व पूजन के साथ यज्ञ से वातावरण आध्यात्मिक हो गया. गंगा, सरयू और सोन नद के पावन संगम पर स्थित परम तीर्थ चिरांद में कार्तिक कल्पवास के समारोप यज्ञ अनुष्ठान में भारत के परम संत श्रीश्री1008 मौनी बाबा ने इस यज्ञभूमि के महात्म पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पावन धर्म नगरी है. क्योंकि, इस भूमि पर स्वयं भगवान श्रीराम एवं श्रीकृष्ण ने अपनी लीला से धर्म के महत्व से संसार को अवगत कराया है.
इस पुण्यभूमि पर पहुंचने के बाद श्रीराम ने महर्षि विष्वामित्र से यहां की ऋषि परंपरा के बारे में जिज्ञास किया.

श्रीराम के प्रश्नों का उत्तर देते हुए महर्षि विष्वामित्र ने कहा था कि गंगा का यह पावन तट मानव को उसके कर्तव्य का बोध कराकर उसे धर्म धारण करने योग्य बनाता है. यह पावन गंगा जगजीवों को परमात्मा की भक्ति प्रदान कर उसमें धर्म को धारण करने का सामथ्र्य प्रदान करता है. अपने गुरु से इस तपोभूमि की महिमा सुनने के बाद रघुनाथजी ने इस संगम के पवित्र जल से आचमनी की और रात्रि काल में भूमि शयन की. इससे समर प्रताप ग्रहण किया था. गोस्वामी तुलसीदास ने अपने मानस में इस पवित्र तीर्थ का वर्णन करते हुए इसे पावन रामतीर्थ बताया है.

कुछ लोग इस क्षेत्र को गौतमबुद्ध के शिष्य आनन्द से जोड़कर कुछ काल्पिनिक बातें प्रचारित करते हैं लेकिन उसका कोई प्रमाण नहीं है. यहां से खुदाई में जो वस्तु प्राप्त हुए हैं उससे प्रमाणित हुआ है कि यह स्थल एक यज्ञ भूमि था. यह स्थान रामायण में वर्णित राम की यात्रा का प्रमाण देता है. द्वापर में श्रीकृष्ण अपने शिष्य अर्जुन के साथ यहां आए थे और अर्जुन का भ्रम दूर किया था. यह भारत भूमि की दनवीरों की दिव्य परम्परा की भूमि रही है जहां दानवीर कर्ण से भी महान राजा मोरध्वज का निवास स्थान था.

मोरध्वज की कथा धर्म के दस लक्षणों के धारण करने का प्रमाण है. मोरध्वज ने धृति, क्षमा, दम, अस्तेय, शौच, इन्द्रीय निग्रह, धी, विद्या, सत्य और अक्रोध धर्म के इन दस लक्षणों के प्रमाण पुरूष थे. इस प्रकार राजा मोरध्वज के कारण चिरांद एक धर्म भी है. गौरतलब है कि श्रीश्री1008 मौनी बाबा शरद पुर्णिमा से चिरांद के अयोध्या मंदिर मे कल्पवास पर हैं. शरद पुर्णिमा से सीताराम नाम अखंड अष्टयाम प्रारंभ है. 1नवमबर से महाविष्णुयज्ञ यज्ञ प्रारंभ हो गया है देश के कोने कोने से श्रद्धालु चिरांद पहुंच कर पुण्य का लाभ ले रहे हैं.

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