
CHHAPRA DESK- महिला एवं बाल विकास निगम, पटना के तत्वावधान में 100 दिवसीय बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन सारण जिले के लहलादपुर प्रखंड मे किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत जिला परियोजना प्रबंधक प्रेम प्रकाश ने बाल विवाह, लैगिंग हिंसा जैसे सामाजिक मुद्दे पर गंभीर चर्चा के साथ की. उन्होंने बताया कि लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष निर्धारित है. इससे पूर्व विवाह होने पर जुर्माना और जेल दोनों का प्रावधान है. उन्होंने बाल विवाह को एक सामाजिक बुराई बताते हुए कहा कि यह बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और भविष्य को गहराई से प्रभावित करता है. इसे समाप्त करने के लिए सभी से सजग रहने और इसकी सूचना पंचायत या जिला प्रशासन को देने की अपील की.

उन्होंने कहा कि बाल विवाह बालिका के संपूर्ण जीवन को प्रभावित कर देता है, जिससे वह कभी पूरी तरह उबर नहीं पाती. उन्होंने बाल विवाह और घरेलू हिंसा के मामलों में सहायता के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर एवं 181 हेल्पलाइन की विस्तृत जानकारी दी. डिस्ट्रिक्ट हब फॉर विमेन एंपावरमेंट के फाइनेंशियल लिट्रेसी एक्सपर्ट सत्येंद्र कुमार ने बाल विवाह के विरोध को सशक्तिकरण से जोड़ते हुए कहा कि न तो यह व्यक्तिगत विकास के लिए उचित है और न ही समाज के लिए लाभकारी.

उन्होंने प्रगतिशील समाज के निर्माण हेतु बाल विवाह मुक्त भारत अभियान में सभी के सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया तथा इसकी शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर 181 महिला हेल्पलाइन (महिलाओं के लिए), 1098 चाइल्डलाइन (बच्चों के लिए), और आपात स्थिति में 112 (पुलिस पर संपर्क करने की सलाह दी. साथ ही साथ सरकार की कई तरह की वित्तीय योजनाओं के बारे में महिलाओं को बताया जिला हब फॉर एंपावरमेंट ऑफ़ वीमेन कार्यालय की ही जेंडर विशेषज्ञ सुजाता ने भी बाल विवाह के विषय में विस्तार से बताया.

उन्होंने बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है जो विकसित समाज के लिए हानिकारक है. बाल विवाह से किशोरियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा इससे किशोरिया कई रोगों से ग्रसित भी हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि हम सभी को साथ मिलकर बाल विवाह होने से रोकना होगा. इस कार्यक्रम में जीविका के पदाधिकारी, जीविका की महिलाएं, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पीएलवी एवं स्थानीय महिलाएं सम्मिलित हुए.

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