बढ़ती जनसंख्या पारिवारिक-आर्थिक स्थिति पर बोझ, बेहतर शिक्षा-स्वास्थ्य के लिए बन रही बड़ी चुनौती : सिविल सर्जन

बढ़ती जनसंख्या पारिवारिक-आर्थिक स्थिति पर बोझ, बेहतर शिक्षा-स्वास्थ्य के लिए बन रही बड़ी चुनौती : सिविल सर्जन

CHHAPRA DESK –  लगातार बढ़ती जनसंख्या न केवल पारिवारिक और आर्थिक संसाधनों पर भारी पड़ रही है, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. उक्त बातें सारण के सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने छपरा सदर अस्पताल के जीएनएम स्कूल परिसर में आयोजित परिवार नियोजन कार्यशाला का उद्घाटन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि एक सीमित आय वाले परिवार के लिए अधिक बच्चों का लालन-पालन करना बेहद कठिन होता है. इससे बच्चों की उचित देखभाल, पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होती हैं. जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि समाज में बेरोजगारी, कुपोषण और अशिक्षा जैसी समस्याओं को जन्म देती है.उन्होंने युवाओं और नवविवाहित दंपतियों से अपील की कि वे परिवार नियोजन के महत्व को समझें और दो बच्चों के बीच उपयुक्त अंतर रखें, ताकि परिवार सुखद, समृद्ध और स्वास्थ्यपूर्ण रह सके. यह कार्यक्रम जननी संस्था और मोबियस फाउंडेशन के सहयोग से किया गया.

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इस मौके पर एएनएम स्कूल की छात्राओं के द्वारा स्लोगन लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. वहीं कालाकारों के द्वारा नुक्कड़ नाटक के माध्यम से परिवार नियोजन के बारे में जानकारी दी गयी. इस मौके पर जननी के कंट्री डायरेक्टर रिचर्ड बाउस्टार्ड और क्लिनिकल डायरेक्टर राम पार्कर ने संबोधित किया. उस दौरान सिविल सर्जन ने कहा कि जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम में जननी संस्था का सहयोग काफी सराहनीय रहा है. महिला बंध्याकरण, पुरूष नसबंदी पर विशेष फोकस किया जा रहा है. साथ हीं अब समुदाय को जागरूक करने के लिए जिले में मोबाइल वैन का प्रयोग किया जायेगा. सिविल सर्जन ने हरी झंडी दिखाकर मोबाइल वैन को रवाना किया. यह मोबाइल वैन जिले के सभी प्रखंडों के गांवों में जाकर लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी देगी. इस वैन में डिजिटल टीवी और ऑडियो सिस्टम लगाया गया है. लोगों को वीडियो दिखाकर परिवार नियोजन के बारे में जानकारी दी जायेगी.

जनसंख्या स्थिरीकरण के बिना सतत विकास संभव नहीं

मोबियस फाउंडेशन के एडवाइजर डॉ राम बूझ ने कहा कि यदि हम आने वाले वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में वास्तविक प्रगति चाहते हैं, तो जनसंख्या स्थिरीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी. उन्होंने कहा कि बिहार जैसे घनी आबादी वाले राज्य में संसाधनों की उपलब्धता सीमित है, और तेजी से बढ़ती जनसंख्या इन संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है. इसका सीधा असर सामाजिक संरचना, बाल विकास, मातृ स्वास्थ्य और बेरोजगारी पर पड़ रहा है. वहीं जननी के कंट्री डायरेक्टर रिचर्ड बाउस्टार्ड ने कहा कि “लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि छोटा परिवार ही सुखी परिवार है. हमें समाज के हर वर्ग तक इस सोच को पहुंचाना होगा कि दो बच्चों से ज्यादा का निर्णय आज नहीं तो कल पूरे परिवार पर भारी पड़ेगा.

दो से अधिक बच्चों की परवरिश असंभव चुनौती, समाज का विकास अधूरा

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविन्द कुमार ने कहा कि सीमित संसाधनों के बीच बढ़ती जनसंख्या शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पोषण जैसी बुनियादी सेवाओं पर सीधा बोझ डालती है. एक निम्न आय वाले परिवार के लिए चार-पाँच बच्चों की पढ़ाई, इलाज और बेहतर परवरिश एक असंभव चुनौती बन जाती है, जिसका असर उनकी अगली पीढ़ी की गुणवत्ता पर भी पड़ता है. “जब तक हम जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जनजागृति नहीं फैलाएंगे और किशोर-किशोरियों को यौन स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और जीवन कौशल शिक्षा नहीं देंगे, तब तक विकास अधूरा रहेगा.  वहीं जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह ने परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति अधिक-अधिक लोगों को जागरूक करने तथा समुदाय स्तर पर प्रचार-प्रसार करने की अपील की.

इस कार्यशाला आयोजन जननी के रिजनल मैनेजर कमलेश कुमार, दीपक कुमार, डिस्ट्रिक्ट मैनेजर अनुज के देखरेख में किया गया. इस मौके पर सिविल सर्जन के अलावा जननी के कंट्री डायरेक्टर रिचर्ड बाउस्टार्ड, क्लिनिकल डायरेक्टर राम पार्कर, मोबियस फाउंडेशन से बाना ज्योत्सना, आर्यन कुमार, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, डीएमएनई ब्रजेश कुमार, आरबीएसके डीसी डॉ. जितेंद्र प्रसाद, जननी संस्था के प्रतिनिधि, मोबियस फाउंडेशन के प्रतिनिधि, पिरामल, पीएसआई, यूनिसेफ, सीफार के जिला प्रतिनिधि मौजूद थे.

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