CHHAPRA DESK – सारण जिले के लिए यह गौरव की बात है कि जिले के एक साहित्यकार द्वारा लिखी पुस्तक को किसी राज्य के नामचीन विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है. जिससे अब बिहार ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र सहित देश के लाखो छात्र-छात्राएं उस कविता को पढ़ेंगे. बिहार के जयप्रकाश विश्वविद्यालय के अंगीभूत इकाई जगदम कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो० (डॉ०) अमरनाथ प्रसाद द्वारा स्वरचित कविता “The Priest of Nature” (द प्रीस्ट ऑफ नेचर) एक काव्यात्मक एवं यथार्थवादी कविता है. जिसे महाराष्ट्र के संत बाबा गाडगे विश्वविद्यालय के बी०ए० पार्ट 2 के तृतीय सेमेस्टर के सिलेबस में शामिल किया गया है. जो छपरा सहित पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है.
बताते चले कि यह कविता डॉ० प्रसाद द्वारा लिखित काव्यपुस्तक The Pebbles on the Seashore (द पेबल्स ऑन द सीसोर) जो 2020 में प्रकाशित हुई थी, उसी किताब की प्रथम कविता है, जो किसानों के जीवन से संबंधित है। इस कविता को बी०ए० के अनिवार्य अंग्रेजी (Compulsory English) के टेक्सट बूक Aspirations (एसपिरेशनस) के 47वें पृष्ट पर जगह मिली है। बुक का प्रकाशन हैदराबाद अवस्थित एक प्रसिद्ध प्रकाशक ओरियन्ट ब्लैकस्वान द्वारा किया गया है.
उपरोक्त बातों की जानकारी मिलते ही छपरा के साहित्यप्रेमियों में खुशी देखी गई और उनके द्वारा डॉ अमरनाथ को बधाई देते हुए उनके कविता के बारे में काफी प्रशंसा की गई। इसी क्रम में रविवार को छपरा शहर के रामकृष्ण मिशन आश्रम में प्रायाणिक संस्था की ओर से कविता लोकार्पण सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें शहर के वरिष्ठ साहित्यकारों, प्राध्यापको और अन्य गणमान्य लोगों द्वारा प्रो (डॉ०) अमर नाथ प्रसाद को सम्मानित किया गया.
कार्यक्रम की शुरूआत आगत अतिथियों के स्वागत और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। जिसके बाद 2020 में प्रकाशित पुस्तक काव्यपुस्तक The Pebbles on the Seashore (द पेबल्स ऑन द सीसोर) का लोकार्पण किया गया. जिसमे मुख्य तौर पर शहर के प्रसिद्ध प्राध्यापक प्रो एम के शरण, स्वामी अतिदेवानंद जी महाराज, ब्रजेंद्र सिन्हा, प्रो के के द्विवेदी, प्रो एच के वर्मा, प्रो उषा वर्मा, प्रो उदय शंकर ओझा, प्रो गजेन्द्र कुमार, डॉ राजू प्रसाद, डॉ मनीष सिंह, डॉ शिवप्रकाश यादव, कवि वीरेंद्र मिश्र ‘अभय’, श्रीमती शशि प्रभा, डॉ अंजली सिंह, वरीय पत्रकार धर्मेंद्र रस्तोगी, डॉ जेपी सिंह, डॉ प्रमोद कुमार, डॉ मृणाल आनंद, डॉ राजेश गुप्ता, सुमन सिंह, अभय कुमार, लालबाबू सोनी, ईश्वर प्रसाद, डॉ राकेश कुमार सहित कई अन्य मौजूद रहें। वही मंच संचालन डॉ वाल्मीकि कुमार के द्वारा किया गया.
बता दें कि डॉ० अमरनाथ प्रसाद की अबतक स्वलिखित और संपादित 46 पुस्तके प्रकाशित है और उन सारी किताबों को गुगल और एमेजन पर देखा जा सकता है. उनकी सभी पुस्तकें नई दिल्ली और कलकत्ता से प्रकाशित है और सबको ISSBN नं० भी मिला है. उन्हीं किताबों में से एक पुस्तक The Pebbles on the Seashore है जिसकी प्रथम कविता The Priest of Nature है जिसे पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है.
डॉ० जॉनसन ने कविता को परिभाषित करते हुए कहा था कि कविता में सत्य और सौन्दर्य का तालमेल होना चाहिए. अर्थात सत्य के साथ आनन्द को जोड़ने का नाम कविता है. इस कसौटी पर यदि इस पाठ्यक्रम में सम्मिलित उनकी कविता को कसी जाती है तो यह बिल्कुल खरी उतरती है. कवि ने किसानों के दुख-दर्द और उनके जीवन के विभिन्न आयामों को कला के धागे में बुनकर व्यक्त किया है जो सहसा सुधि पाठकों के हृदय के तार को झंकृत कर उन्हें सोचने के लिए मजबूर कर देती है कि सचमुच किसान प्रकृति के सबसे बड़े पुजारी है.
इस कविता में कवि ने किसानों के खेतों की तुलना समुद्र से की है और उनके फसल और अनाज को समुद्र के निचले सतह में छिपे हीरे मोती की तरह बताया है जिससे संसार का भरण पोषण होता है. कुछ अनाज अनजाने खेतों में गिर जाते है जिससे चिड़ियां, कीड़ों और अन्य प्राणियों का जीवन अनवरत चलता रहता है. किसानों की खुशी उनके द्वारा तैयार किया गए फसल होते है जिसे देखकर किसान हरदम खुश रहता है, परन्तु उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब होती है और वह प्रायः ऋण के चंगुल में फंस जाता है. वह अपने खून और पसीने से सिंचाई कर अनाज पैदा करता है, लेकिन बाढ़ और सुखार आने के बाद उसकी स्थिति दयनीय हो जाती है. उसके दयनीय अवस्था की तुलना कवि डॉ० अमरनाथ प्रसाद ने एक Trapped Mouse अर्थात चूहेदानी में कैद चूहे से किया है जो समस्याओं और परेशानियों के चुहेदानी में फंस जाता है.
दूसरे शब्दों में, कवि ने किसानों के जीवन के विभिन्न आयामों का वर्णन काफी कलात्मक और साहित्यिक अंदाज में किया है. कविता में सरलता और सहजता भी है जो किसान के महत्वपूर्ण गुण होते है. इस कविता की दूसरी महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह कविता आधुनिक युग में लिखी गई है, परन्तु इसका धून और लय नापी-तौली भाषा में बनाई गई है. जो प्रायः 3-4 सौ वर्षों पहले अंग्रेजी कविताओं के महान कवियों की कविताओं में देखने को मिलती है. वहीं कविता की अंतिम पक्तियों में प्रो० अमरनाथ प्रसाद ने किसानों की दयनीय स्थिति का वर्णन करते हुए कहा है कि किसानों के मरने के बाद उनकी उपलब्धियों और जीवन को जिन्हे प्रायः नजरअंदाज कर दिया जाता है और मुश्किल से कवि अपनी कविताओं में उनका गुनगान करते है और वह गुमनाम की अवस्था में ही इस दुनिया से विदा हो जाता है.
अतः कवि समाज को इस कविता के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि हमें किसानों के दुख-दर्द को समझना चाहिए और यथा संभव उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करनी चाहिए.
प्रो० (डॉ०) अमरनाथ प्रसाद द्वारा रचित कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तकें :
1. इन्डियन राइटिंग इन इंगलिस : पास्ट एन्ड परजेन्ट
2. ट प्लेज ऑफ विजय तेन्दुल्कर: एक क्रिटिकल एक्सप्लोरेशन
3. ए न्यू एप्रोच टू इंगलिस ग्रामर
4. एन आर्क विदाउट सोर
5. रिक्रिटिकिंग जॉन कीट्स
6. फाइब इन्डियन प्लेराईट्स
7. बूकर प्राईज राइटर्स ऑफ इन्डिया, इत्यादि.