
CHHAPRA DESK – धार्मिक नगरी चिरांद एक बार फिर भक्तिभाव और आध्यात्मिक ऊर्जा से आलोकित हो उठी है. ऐतिहासिक अयोध्या मंदिर परिसर में पवित्र शरद पूर्णिमा से शुरू हुआ सवा माह का सीताराम नाम संकीर्तन (अखंड अष्टयाम) भक्तों के हृदय में दिव्यता और भक्ति की लहरें जगा रहा है. श्रीश्री 1008 मौनी बाबा के सान्निध्य में चल रहा यह अनुष्ठान पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक चेतना से भर रहा है. मौनी बाबा इन दिनों अयोध्या मंदिर परिसर में कल्पवास कर रहे हैं. उनके प्रवास के दौरान प्रतिदिन भजन-कीर्तन, हवन, नवाह पाठ और सत्संग का आयोजन हो रहा है, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ दूर-दूर से आए श्रद्धालु भी भाग ले रहे हैं.

अब इस भक्तिमय माहौल में 1 नवंबर से शुरू होगा महाविष्णु यज्ञ, जो 5 नवंबर तक चलेगा। उस दौरान देशभर के कई प्रमुख संत-महात्मा और पीठाधीश्वरों के आने की संभावना है. विशेष रूप से पूज्य संत महंथ मैथिली रमण शरण, लक्ष्मण किलाधीश सरकार, हनुमत निवास पीठाधीश्वर मिथिलेश नंदनी शरण सहित अनेक संत-महात्मा इस यज्ञ में शिरकत करेंगे. श्रद्धालुओं में इस आयोजन को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है. उनका मानना है कि मौनी बाबा के दर्शन और सत्संग से सारे दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है. यह सवा माह का प्रवास केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि लोककल्याण, आत्मशुद्धि और मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है.

चिरांद का पौराणिक गौरव : भगवान राम और श्रीकृष्ण की पावन भूमि
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, चिरांद वह पवित्र भूमि है जहां स्वयं भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े थे. कहा जाता है कि अर्जुन का घमंड भी यहीं नष्ट हुआ था. कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम यहां दो बार आए थे. पहली बार जनकपुर यात्रा के दौरान और दूसरी बार रावण वध के पश्चात. कहा जाता है कि जब रावण वध के बाद भगवान श्रीराम को ब्रह्महत्या का दोष लगा, तब वे गंगा संगम पर यज्ञ करने आए थे और उसी क्रम में चिरांद में कुछ समय रुके थे. इसी कारण से, इस पावन स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कल्पवास और गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. सदियों से यह परंपरा चली आ रही है और आज भी हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आकर स्नान, दान और पूजा-अर्चना कर पुण्य अर्जित करते हैं. धर्म, भक्ति और लोककल्याण का संगम चिरांद का यह महाविष्णु यज्ञ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक एकता और जनकल्याण का पर्व है. यहां आने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि मौनी बाबा के सत्संग और आशीर्वाद से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं.

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