सुर्खियों से आगे… पर्दे के पीछे बीजेपी और आरजेडी में कोई खिचड़ी पक रही है क्या?

सुर्खियों से आगे… पर्दे के पीछे बीजेपी और आरजेडी में कोई खिचड़ी पक रही है क्या?

PATNA DESK – बिहार में करीब तीन दशक से तीन पार्टियों के हीं इर्द-गिर्द राजनीति का पहिया घूमता आ रहा है. कांग्रेस व अन्य छोटे दल हाशिए पर हैं. इन तीन प्रमुख दलों में राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यू है. बेशक, बिहार की सबसे बड़ी पार्टी आज राष्ट्रीय जनता दल है और सबसे छोटी पार्टी जनता दल यू. बीजेपी दूसरे नंबर पर है. पिछले दिनों अप्रत्याशित रूप से बिहार में सत्ता और गठबंधन का परिवर्तन हुआ.

मुख्यमंत्री तो नहीं बदले लेकिन उप मुख्यमंत्री बदल गए. सबसे बड़े दल के नेता तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी मिली और भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में आ गई. यह बात तो सीधे तौर पर सबको दिख रही है. लेकिन नई सरकार बनने के बाद से जिस तरह से फ्रंट फुट पर आकर आरजेडी से बैटिंग की उम्मीद की जा रही थी, वह फिलहाल नहीं दिख रही है. मुख्य सुर्खियां, जदयू और भारतीय जनता पार्टी के बीच हो रहा तकरार बटोर रहा है.

आरजेडी नेताओं की उम्मीद से ज्यादा चुप्पी, कई राजनीतिक विश्लेषकों के गले नहीं उतर रही है. जैसा कि विश्लेषकों का काम है, अपने अनुभव व परिस्थितियों को देखकर आकलन करना. मेरे मन में भी यह सवाल पिछले दो -तीन दिनों से यह उठ रही है कि आखिर अचानक से आरजेडी के नेता बीजेपी या कहें केंद्र सरकार के खिलाफ उतने मुखर क्यों नहीं दिख रहे हैं, जितना की उनसे उम्मीद की जाती है. इसके ठीक विपरीत, जदयू के नेता बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. अब तो मुख्यमंत्री भी लगभग प्रतिदिन अपने अंदाज में बीजेपी व केंद्र पर हमला बोल रहे हैं. इसी के बाद मेरे मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या कहीं आरजेडी और बीजेपी के बीच पर्दे के पीछे कोई खिचड़ी पक रही है?

अब आपके मन मे सवाल आएगा कि कैसी खिचड़ी? तो मैं बता रहा हूं कैसी खिचड़ी पक रही होगी? मेरा मानना है कि आज की तारीख में बिहार में बीजेपी की सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी जदयू और उसके नेता नीतीश कुमार हैं. नीतीश कुमार को सियासी तौर पर ठिकाने लगाने के लिए बीजेपी को आरजेडी से बात करने में कोई गुरेज नहीं होगी. इसके लिए वह आरजेडी से पर्दे के पीछे बात करने से संकोच नहीं करेगी. बीजेपी, आरजेडी से यह कह सकती है कि आप मुख्यमंत्री अपना बना लें। मतलब तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बन जाएं और नीतीश जी को बाहर करें. यह बहुत सरल और सहज भी है. इसमें आरजेडी को कुछ खोना नहीं है, सिर्फ पाना है. तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा. इसके बदले बीजेपी, आरजेडी या कहें पूरे लालू कुनबे को वह राहत दिला सकती है, जिसका उसको आज की तारीख में सख्त दरकार है. बीजेपी यह भरोसा दे सकती है कि जो ईडी-सीबीआई, लालू परिवार के चौखट तक आ चुका है, वह फिलहाल अंदर प्रवेश नहीं करेगा. यह एक मार्केट में मिलने वाले ऑफर के समान हो सकता है. नीतीश को आउट कीजिए और सीएम की कुर्सी के साथ-साथ फौरी राहत प्राप्त कीजिए.

अचानक से बीजेपी को लेकर आरजेडी और आरजेडी को लेकर बीजेपी का अपेक्षाकृत नरम रुख समझ से परे है. साथ ही पिछले तीन दिनों से सुशील मोदी लगातार यह बयान देते आ रहे हैं कि लालू यादव अपने बेटे को बहुत जल्द मुख्यमंत्री बना लेंगे. यह भी एक संकेत हो सकता है. देखिए,आगे-आगे होता है क्या?

साभार : ✍️डॉ संजय सिंह

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