CHHAPRA DESK – छपरा जंक्शन स्थित रेलवे क्वार्टर को किराए पर चलाये जाने का मामला कोई नया नहीं है. रेलवे के कई क्वार्टर आज भी निजी लोगों के को किराए पर दिया गया है. जिसमें स्टेशन पर काम करने वाले वेंडर और सर्कुलेटिंग एरिया के दुकानदार शामिल हैं. ऐसा हि एक मामला पुनः छपरा जंक्शन से सामने आया है. सूत्रों के अनुसार छपरा जंक्शन के कोचिंग डिपो में कार्यरत कर्मचारी पिंटू कुमार के नाम से दो सरकारी क्वार्टर हैँ और दोनों में उनके द्वारा किराएदार रखे गये हैँ. जिसमे से एक किरायेदार सद्दाम रजा ने उनके उपर गंभीर आरोप लगाते हुए डीआरएम क़ो लिखित शिकायत की हैं. सद्दाम रजा का कहना है कि क्वार्टर में रहने से ढाई साल पहले पिंटू कुमार ने उनसे एक लाख रुपये एडवांस की मांग की थी,
यह कहते हुए कि जब क्वार्टर खाली कराएंगे, तब राशि वापस कर दी जाएगी. वही हर महीने किराया यूपीआई व कैश के माध्यम से लेते रहे. अब पिंटू कुमार पैसे लेने से ही इनकार कर रहे हैं और उल्टा आरपीएफ से क्वार्टर खाली कराने की गुहार लगा दी. आरपीएफ ने सरकारी कर्मचारी की सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए क्वार्टर तो खाली करा लिया, लेकिन सद्दाम की आर्थिक क्षति की भरपाई नहीं हो सकी हैँ. पीड़ित ने इस मामले में न्याय की मांग करते हुए जंक्शन के सीडीओ अजीत कुमार को पत्र भी लिखा, लेकिन सीडीओ ने ऐसे किसी मामले की जानकारी से साफ इनकार करते हुए अपने विभाग के किसी भी कर्मचारी के शामिल होने की बात को नकारा.
विदित हो है कि छपरा समेत कई रेलवे क्वार्टरों में वर्षों से यह खेल चलता आ रहा है, जहां रेलकर्मी निजी लोगों को किराए पर क्वार्टर देकर मोटी रकम वसूलते हैं. कई क्वार्टरों में यह स्थिति वरिष्ठ अधिकारियों की जानकारी के बिना चल रही है. इससे न केवल रेलवे की गरिमा को ठेस पहुंच रही है, बल्कि ऐसे मामले भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा दे रहे हैं. इस पूरे मामले पर पूछे जाने पर आईओडब्ल्यू राकेश कुमार ने कहा कि रेलवे क्वार्टरों की नियमित निगरानी की जाती है. अगर किसी क्वार्टर में अनाधिकृत व्यक्ति रह रहा है, तो उसे जल्द खाली कराया जाएगा. वहीं आरपीएफ अधिकारियों का कहना है कि जब तक कोई लिखित शिकायत नहीं मिलती, वे कार्रवाई नहीं कर सकते. अब सवाल यह उठता है कि शिकायत मिलने के बाद भी जब न्याय नहीं मिलता, तो आम व्यक्ति कहां जाए. ऐसी स्थिति में रेलकर्मी सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग भी धड़ल्ले से कर रहे हैं.