CHHAPRA DESK – भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश एवं बिहार में आम की प्रमुखता से खेती होती है. भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के वर्ष 2020-21 के संख्यिकी के अनुसार भारतवर्ष में 2316.81 हजार हेक्टेयर में आम की खेती होती है, जिससे 20385.99 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है. आम की राष्ट्रीय उत्पादकता 8.80 टन प्रति हेक्टेयर है. बिहार में 160.24 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती होती है. जिससे 1549.97 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है. बिहार में आम की उत्पादकता 9.67 टन प्रति है, है जो राष्ट्रीय उत्पादकता से थोड़ी ज्यादा है. आम के बाग में अधिक से अधिक फल लगे एवं टिके इसके लिए आवश्यक है कि वैज्ञानिक प्रबंधन किया जाये. यहां यह बताना आवश्यक है कि मंजर में जितना फल लगते है उसका मात्र 5 प्रतिशत से कम फल ही पेड़ पर लगे रहते हैं, शेष फल झड़ जाते है. हमारे बाग में 5 प्रतिशत फल लगे रहे इसके लिए आवश्यक है कि बाग का वैज्ञानिक प्रबंधन किया जाये.
इन कीटनाशक एवं पोषक तत्वों का छिड़काव है आवश्यक
इस समय अधिकांश बागों में फल के मटर के दाने के बराबर हो गए है. अतः इस समय इमिडाक्लोरप्रीड (17.8 एस.एल.) @1मिली लीटर दवा प्रति दो लीटर पानी में और हैक्साकोनाजोल @ 1 मिली प्रति लीटर पानी या डाइनोकैप (46 ई0सी0) 1 मिली दवा प्रति 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से मधुवा एवं चूर्णिल आसिता की उग्रता में कमी आती है. प्लेनोफिक्स नामक दवा @1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के गिरने में कमी आती है.
इस अवस्था में हल्की सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए जिससे बाग की मिट्टी में नमी बनी रहे लेकिन इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पेड़ के आस पास जलजमाव न हो. यदि आम का पेड़ 10 वर्ष या 10 वर्ष से ज्यादा पुराना है तो उसमे 500-550 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट, 850 ग्राम यूरिया एवं 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश एवं 25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सडी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 2 मीटर दूर रिंग बना कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए.
यदि आम का पेड़ 10 वर्ष से छोटा है तो उपरोक्त खाद एवं उर्वरकों की डोज को 10 से भाग दे दे, जो आएगा उसे पेड़ की उम्र से गुणा कर दे वही उस पेड़ की डोज होगी. जहां पर आम के फटने की समस्या ज्यादा हो वहां के किसान @4 ग्राम घुलनशील बोरेक्स प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या सूक्ष्मपोषक तत्व जिसमें घुलनशील बोरान की मात्रा ज्यादा हो @2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के झड़ने में कमी आती है एवं फल गुणवत्ता युक्त होते है. यह कार्य 15 अप्रैल के आस पास अवश्य कर लें. आम के जिन मंजरो में फल नही लगे है, उनको काट कर बाग से बाहर ले जाकर जला दे, क्योकि अब उसमे फल नही लगेंगे एवं लगे रहने की अवस्था में ये रोग एवं कीड़ों को आकर्षित करेंगे. आम के बाग में इस समय मिली बग (दहिया कीट) कीट की समस्या ज्यादा विकट रूप से दिखाई दे रही है.
यदि, आप ने पूर्व में इस कीट के प्रबंधन का उपाय नही किया है तो एवं दहिया कीट पेड पर चढ गया हो, तो ऐसी अवस्था में डाएमेथोएट 30 ई.सी. या क्विनाल्फोस 25 ई.सी.@2.0 मीली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. आम में फल मक्खी से बचाव के लिए ज्यादा बेहतर होगा की फेरोमन ट्रैप @15 से 20 ट्रैप प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें. आम के बाग की नियमित देखभाल करते रहे. जैसे ही कोई असामान्य लक्षण दिखे समस्या के अनुसार समाधान हेतु प्रत्येक अनुमंडल के लिए प्रगतिशील कृषक सदर छपरा, सोनपुर और मढ़ौरा के लिए व्हाट्सएप ग्रुप कार्यरत है, उस व्हाट्सएप ग्रुप में जरूर फ़ोटो खींच कर भेजे और अविलम्ब समाधान करें.
जिले में आम लीची अमरूद पर प्रथम व द्वितीय छिडकाव हेतु प्राप्त लक्ष्य के अनुरूप सेवा प्रदाताओ के द्वारा छिडकाव पहले आओ पहले पाओ के तर्ज पर किया जा चुका है लेकिन जब तक आम की तुड़ाई नही हो जाती है समस्या बनी रहेगी. इसीलिए त्वरित समस्याओं के निदान हेतु किसानों को सुझाव हेतु उपरोक्त कार्य किये जा रहे है. ताकि कीट व्याधि से नुकसान बहुत कम हो.
साभार : राधेश्याम गुप्ता, सहायक निदेशक पौधा संरक्षण