लालू, नीतीश और मोदी के चेहरे पर नहीं, बल्कि अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए दीजिए वोट तो होगा बिहार में बदलाव : प्रशांत किशोर

लालू, नीतीश और मोदी के चेहरे पर नहीं, बल्कि अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए दीजिए वोट तो होगा बिहार में बदलाव : प्रशांत किशोर

CHHAPRA DESK –  जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आज जयप्रकाश नारायण के गांव से बिहार बदलाव यात्रा का शुभारंभ उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया. ‘बिहार बदलाव यात्रा’ की शुरुआत के बाद आज वह सारण जिले के मांझी विधानसभा में अपनी पहली जनसभा की. सुबह में उन्होंने बलिया के जयप्रकाश नगर स्थित जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान का दौरा किया. जनसभा को संबोधित करने से पहले प्रशांत किशोर ने मांझी नगर पंचायत स्थित दुर्गापुर शिव मंदिर में दर्शन किए. जनसभा स्थल पर पहुंचने के दौरान प्रशांत किशोर का जिले के मांझी थाना बाजार, नवलपुर बंगरा के महाराणा प्रताप चौक, मदनसाथ चौक, बरेजा बाजार, दाउदपुर बाजार, जलालपुर के बसडिला मोड़, देवरिया, खेराडीह, महेंद्र मिश्र चौक, मंगोलपुरा चौक आदि स्थानों पर बड़ी संख्या में लोगों ने स्वागत किया.

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इसके साथ ही उन्होंने जलालपुर नगर पंचायत के बाजार में भी हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों की जनसभा को संबोधित किया. जनसभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में अधिकारी और नेता राशन कार्ड बनाने से लेकर जमीन की रसीद कटाने तक के लिए रिश्वत ले रहे हैं, जिससे आम लोग परेशान हैं, इसलिए अगली बार वोट लालू, नीतीश और मोदी के चेहरे पर नहीं अपने बच्चों के चेहरे को देखकर दीजिएगा. उन्होंने मांझी की जनता से अपील की कि उन्हें और उनके बच्चों को लूटने वाले नेताओं को वोट न दें. अगली बार अपने बच्चों के लिए वोट दें और बिहार में जनता का राज स्थापित करें.

60 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक पुरुष और महिला को 2000 रुपये मासिक पेंशन मिलेगी, 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों को निजी स्कूलों में भी मुफ्त शिक्षा मिलेगी : प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने मांझी की जनता से बड़ा वादा करते हुए कहा कि दिसंबर 2025 से 60 साल से अधिक उम्र के हर पुरुष और महिला को 2000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस साल छठ के बाद छपरा, सारण के युवाओं को 10-12 हजार रुपये की मजदूरी करने के लिए अपना घर-परिवार छोड़कर नहीं जाना पड़ेगा. इसके साथ ही उन्होंने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि जब तक सरकारी विद्यालयों में सुधार नहीं हो जाएगा, तब तक आप अपने 15 साल से कम उम्र के बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाएं और उनकी फीस सरकार भरेगी ताकि गरीब का बच्चा भी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ सके.

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