PATNA DESK – यदि आप पत्रकार, पुलिस कर्मी और आर्मी के जवान हैं तो यह खबर आपके लिए है. आप अपनी गाड़ी किसी और को इस्तेमाल करने ना दें, क्योंकि अब जिस गाड़ी पर प्रेस-पुलिस-आर्मी लिखा मिलेगा उस वाहन की जांच की जाएगी. गाड़ी चलाने वाला कोई और मिला तो कार्रवाई होगी. बिहार की सड़कों पर चल रही कई गाड़ियों के ऊपर पुलिस, प्रेस, आर्मी का स्टीकर लगा रहता है. जिसे पुलिस कर्मी, प्रेस कर्मी, आर्मी के जवान चलाते नहीं दिखते हैं बल्कि उनकी गाड़ी को दूसरा व्यक्ति चलाते नजर आता है. जो परिवार का सदस्य या दोस्त होता है. ऐसे स्टीकर का उपयोग आसामाजिक तत्व के लोग भी धड़ल्ले से कर रहे हैं और आपराधिक वारदातों को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं.
अपराधिक तत्वों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस के ऐसी गाड़ियों की जांच करने का आदेश डीजीपी विनय कुमार ने दिया है. उन्होंने कहा कि पुलिस, प्रेस, आर्मी एवं अन्य चीज वाहनों पर लिखा रहता है. उसकी गहनता पूर्वक जांच की जाएगी. ऐसी गाड़ियों का उपयोग सिर्फ पदधारक ही करेंगे और दूसरा कोई व्यक्ति इन गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा. ऐसा पाये जाने पर गाड़ी के मालिक पर कार्रवाई की जाएगी. डीजीपी ने जो आदेश जारी किया गया है उसमें इस बात का जिक्र है कि ऐसा पाया जा रहा है कि कई वाहनो पर प्रेस, पुलिस, आर्मी एवं अन्य सांकेतिक शब्द, रजिस्ट्रेशन पट्टी पर अंकित कर उपयोग किया जा रहा है.
वाहनों में प्रायः कोई पुलिस कर्मी अथवा प्रेस कर्मी सवार नहीं रहते हैं. वाहनों पर प्रेस/पुलिस लिखकर असमाजिक एवं अपराधिक प्रवृति के व्यक्तियों के द्वारा अपराध एवं असामाजिक कार्य के लिए उपयोग किए जाने की संभावना प्रबल रहती है, ऐसी स्थिति में असामाजिक एवं अपराधिक तत्वों की गतिविधि पर अंकुश एवं अपराध नियंत्रण हेतु यह आवश्यक है कि प्रेस/पुलिस लिखे वाहनों की सूक्ष्मता एवं संवेदनशीलता से जाँच कर यातायात नियमों सहित अन्य विधिक कार्रवाई की जाय.