
CHHAPRA DESK – सारण जिला अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव में सिर्फ सुरक्षा ही नहीं बढ़ी है, बल्कि जन्म के तुरंत बाद नवजात को टीकाकरण, स्तनपान संबंधी सलाह और पोषण सेवाएं भी मिल जाती हैं. जिससे बच्चा जीवन की शुरुआत मजबूत तरीके से करता है. सारण की महिलाओं ने अब मातृत्व को लेकर एक नई सोच अपनाई है. पहले जहां कई परिवार घर पर ही प्रसव को उचित मानते थे, वहीं अब मां और बच्चे की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बड़ी संख्या में महिलाएं अस्पताल पहुंच रही हैं. अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच जिले में 31985 संस्थागत प्रसव हुए यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि बदलते नजरिए और बढ़ते भरोसे की कहानी है. सबसे ज्यादा प्रसव जिला अस्पताल और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में 3097 दर्ज किए गए. अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ीं, डॉक्टरों की उपलब्धता में सुधार हुआ और प्रसव के दौरान मिलने वाली सुरक्षा ने महिलाओं को आश्वस्त किया है. कई महिलाओं ने खुद बताया कि उन्हें अब लगता है अस्पताल ही सुरक्षित जगह है. यहां बच्चे को बेहतर शुरुआत मिलती है.

525 सिजेरियन प्रसव कराया गया
इन सात महीनों में 525 सिजेरियन प्रसव भी हुए. जिनमें जिला अस्पताल ने सबसे बड़ी भूमिका निभाते हुए 460 ऑपरेशन सुरक्षित रूप से कराए. इसके अलावा सोनपुर में 52, दरियापुर सीएचसी में 10 और रेफरल अस्पताल में 3 ऑपरेशन किए गए. डॉक्टरों के अनुसार जटिल गर्भावस्था के मामलों में समय रहते अस्पताल पहुंच जाने से कई जानें बची हैं. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना ने भी महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित किया है. प्रसव उपरांत मिलने वाली प्रोत्साहन राशि ने गरीब परिवारों को बड़ा सहारा दिया है. कई महिलाओं ने कहा कि सरकारी योजनाओं से न सिर्फ आर्थिक मदद मिली, बल्कि अस्पताल जाने को लेकर मन में बना भय भी दूर हुआ.

संस्थागत प्रसव से मिलती है कई तरह की सुविधाएं
प्रसव के लिये गर्भवती महिला को अस्पताल लाने व प्रसव उपरांत उन्हें वापस घर पहुंचाने के लिये निःशुल्क एंबुलेंस सेवा प्रदान किया जाता है. सरकारी अस्पताल में प्रसव के उपरांत जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के लाभुकों को 1400 रुपये व शहरी इलाके के लाभुकों को 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है. प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन के स्थायी साधन अपनाने पर लाभुक को 2000 रुपये व प्रसव के सात दिन बाद नियोजन कराने पर 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान का प्रावधान है. इतना ही नहीं नवजात को जन्म के तत्काल बाद टीका का पूरा डोज भी उपलब्ध हो पाता है. जन्म पंजीकरण भी आसानी से हो पाता है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
कई बार घर पर प्रसव के दौरान मामूली सी गड़बड़ी भी मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर हो सकती है. लेकिन अस्पताल में विशेषज्ञ मौजूद होने के कारण जटिल स्थितियों का समय रहते समाधान हो जाता है. कई प्रसव ऐसे भी हुए जिनमें डॉक्टरों की त्वरित कार्रवाई से बच्चे की धड़कनें गिरने से लेकर अधिक रक्तस्राव जैसी स्थितियों को टाल दिया गया.

क्या कहती है लाभार्थी
इस मामले में छपरा सदर प्रखंड निवासी प्रसूति सुनीता देवी ने बताया कि पहले घर पर ही प्रसव को ही सही समझा जाता था. लेकिन अब डॉक्टरों की देखरेख में बच्चा जन्म लेना ही सही लगता है. इलाज, दवा, सुविधा—सब कुछ समय पर मिलता है. वहीं तेलपा मोहल्ला निवासी आरती देवी ने बताया कि पहली बार अस्पताल आकर डर लग रहा था, लेकिन स्टाफ ने इतना उत्साह दिया कि पूरा प्रसव ही आसान लगने लगा. बच्चा सुरक्षित आया, यही सबसे बड़ी खुशी है.

क्या है आंकड़ा :
सारण जिला के सदर अस्पताल एवं प्रखंडो में कुल 3097 संस्थागत प्रसव कराया गया है. जिसमें नगरा 1558, परसा 1726, गड़खा 2518, जलालपुर 1582, मकेर 771, दिघवारा 1116, दरियापुर 2482, अमनौर 1554, सोनपुर 2016, एकमा 1583, मढ़ौरा 1824, लहलादपुर 549, पानापुर 821, मशरक 1262, तरैया 925, इसुआपुर 971, बनियापुर 1634, मांझी 1658 एवं रिविलगंज मे 715 संस्थागत प्रसव कराये गये हैं.

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