CHHAPRA DESK – स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से लक्ष्य कार्यक्रम के तहत ज़िलें के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को लक्ष्य प्रमाणीकरण के रूप में शामिल करने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. स्वास्थ्य केंद्रों के प्रसव कक्ष के रख रखाव की आद्यतन स्थिति को लेकर बताया गया है. इसके साथ ही अस्पताल के प्रसव रूम, ओटी, मेटरनिटी वार्ड सहित कई अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रशिक्षण दिया गया है. ताकि ज़िलें के सभी अस्पतालों का लक्ष्य प्रमाणीकरण किया जा सके. क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक प्रशांत कुमार ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, बीएचएम और प्रसव कक्ष, ओटी में कार्यरत स्टाफ नर्स को प्रशिक्षण दिया. उन्होने प्रशिक्षित किया कि प्रसव कक्ष में कैसे व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करना है.
यह भी बताया गया कि कैसे चेकलिस्ट के अनुसार प्रसव कक्ष और मेटरनिटी ओटी को तैयार करना है. इसके लिए एक्शन प्लान बनाकर कार्य करने का निर्देश दिया गया है. 8 मानकों मुख्य रूप से सेवा प्रावधान, रोगी का अधिकार, इनयूट्रस, सपोर्ट सर्विसेज, क्लीनिकल सर्विसेज, इंफेक्शन कंट्रोल, क्वालिटी मैनेजमेंट, आउटकम का मूल्यंकन किया जाना शामिल हैं. इस मौके पर आरपीएम प्रशांत कुमार, डीपीसी रमेशचंद्र कुमार, मांझी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रोहित कुमार, दिघवारा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रौशन कुमार, दरियापुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह एवं सभी प्रसव कक्ष और ओटी स्टाफ और बीएचएम मौजूद थे.
लक्ष्य प्रमाणीकरण के लिए 70 प्रतिशत अंक जरूरी
आरपीएम प्रशांत कुमार ने बताया कि लक्ष्य योजना के तहत भारत सरकार द्वारा प्रसव कक्ष व मैटरनिटी ओटी के लिए प्रमाणीकरण के लिए अलग से व्यवस्था होती है. जो मानक स्तर पर प्रसव से संबंधित सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद ही दी जाती हैं. लक्ष्य कार्यक्रम को लेकर टीम के द्वारा अस्पताल स्तर पर क्वालिटी सर्किल टीम, जिला स्तर पर जिला गुणवत्ता यकीन समिति, रिजनल स्तर पर रिजनल कोचिंग टीम के स्तर से निरीक्षण के बाद ही निर्धारित मानकों के आधार पर कम से कम 70 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त होने के बाद इसे राज्य स्तर पर मान्यता के लिए भेजा जाता है. इसके साथ ही राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा गठित टीम के द्वारा प्रसव कक्ष और ओटी के निरीक्षण के बाद ऑडिट की जाती है. मुख्यालय के टीम द्वारा विभिन्न मानकों के निरीक्षण में कम से कम 70 प्रतिशत अंक प्राप्त होने चाहिए. तभी राज्यस्तरीय टीम के द्वारा उसे प्रमाण पत्र दिया जाता है. राज्यस्तरीय प्रमाण पत्र के बाद इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के पास भेजा जाता है. इसके बाद राष्ट्रीय स्तर की टीम अस्पताल का निरीक्षण व ऑडिट करती है. कम से कम 70 प्रतिशत अंक मिलने पर ही लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त होता है.
प्रसव कक्ष और मेटरनिटी ओटी की गुणवत्ता में सुधार लाना लक्ष्य का उद्देश्य
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार ने बताया कि लक्ष्य कार्यक्रम का मूल उद्देश्य, प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह की सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना और इससे जुड़ी हुई सेवाओं की गुणवत्ता में पहले की अपेक्षा सुधार लाना होता है. जिले में मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, प्रसव के बाद जच्चा बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिहाज से लक्ष्य प्रमाणीकरण बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है. हालांकि जिले के विभिन्न अस्पतालों के प्रसव केंद्र में पहले से ही बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. लेकिन इसके बावजूद ज़िले के सभी अस्पतालों का लक्ष्य प्रमाणीकरण कराना लक्ष्य है. जिसके लिए अस्पताल का भौतिक सत्यापन किया जाता है. इसके तहत प्रसव कक्ष, मैटरनिटी सेंटर, ऑपरेशन थियेटर की गुणवत्ता में सुधार लाना है.
इन मानकों पर तय होते हैं पुरस्कार
• अस्पताल की आधारभूत संरचना
• साफ-सफाई एवं स्वच्छता
• जैविक कचरा निस्तारण
• संक्रमण रोकथाम
• अस्पताल की अन्य सहायक प्रणाली
• स्वच्छता एवं साफ सफाई की स्थिति