CHHAPRA DESK – बिहार के रोहतास जिले के तिलौथू प्रखण्ड में Tutla bhawani माता तुतला भवानी का प्राचीन मंदिर स्थित है. तुतला भवानी धाम का मंदिर रोहतास जिला मुख्यालय से 38KM दूर तिलौथू प्रखंड में कैमूर की मनोरम पहाडियों में स्थित है. तुतला भवानी मंदिर पहाड़ी की घाटी में स्थित है. मंदिर के सटे पहाड़ी में कछुअर नदी बहती है. Tutla bhawani तुतला भवानी मंदिर के आसपास की प्राकृतिक छटा मनोरम है.
धाम तक पहुंचने का रास्ता सही नहीं है. इस कारण कम लोग पहुंचते हैं. लोगों कहना है कि नवरात्र में काफी भीड़ रहती है. मार्ग का निर्माण होने पर धाम में सैलानियों के आने-जाने का सिलसिला शुरू हो सकता है. माता के दर्शन के लिए श्रावण मास में पूरे माह मेला तथा नवरात्र में 9 दिनों के मेले का आयोजन होता है. मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो यहां अशुद्ध मन से जाता है, उसे भ्रामरी देवी (भंवरा) का प्रकोप झेलना पड़ता है. ऐसी घटनाएं बहुत लोगों के साथ घट चुकी जिनके मन में कुछ गलत भावना होती है.
फ्रांसिसी इतिहासकार बुकानन 14 सितम्बर 1812 ई के रोहतास यात्रा के लिए पहुचे थे. वे अपनी यात्रा में लिखते है कि यह प्रतिमा प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है. Tutla bhawani तुतला भवानी की दो प्रतिमाएं विराजमान है. एक पुरानी और खंडित प्रतिमा है, जबकि दूसरी नई है. वहां आसपास देखने पर कई शिलालेख हैं.
इतिहासकारों के अनुसार पुराना शिलालेख शारदा लिपि में 8 वीं सदी का है, जो अपठित है और इसके बाद का शिलालेख बारहवीं सदी के खरवार के राजा धवलप्रताप देव ने स्थापित करवाया था है.क्ष19 अप्रैल 1158 ई में दुर्गा की दूसरी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के समय लिखा गया है. दूसरी प्रतिमा की शिलालेख में राजा धवलप्रताप देव की पत्नी सुल्ही, भाई त्रिभुवन धवल देव, पुत्र बिक्रमध्वल देव, साहसध्वल देव तथा पांच पुत्रियों के साथ पूजा अर्चना के साथ प्राण प्रतिष्ठा करायी है. इसकी पुष्टि शिलालेख करता है. तुतला अष्टभुजी भवानी की मूर्ति गड़वाल कालीन कला की सुंदर झलक है. माता का प्रतिमा देखने से पता चलता है कि दैत्य महिषासुर की गर्दन से निकल रहा है, जिसे देवी अपने दोनों हाथो से पकड़कर त्रिशूल से मार रही हैं. महिषासुर मंर्दिनी तुतला भवानी की प्रतिमा तुतराही जल प्रपात के मध्य में स्थापित है.