आदिल भी जीना चाहता है… पर जीबीएस सिंड्रोम नामक असाध्य रोग से हैं ग्रसित ; एक करोड़ खर्च के बाद एम्स ने दिया जवाब तो परिजनों ने घर को बनाया आईसीयू

आदिल भी जीना चाहता है… पर जीबीएस सिंड्रोम नामक असाध्य रोग से हैं ग्रसित ; एक करोड़ खर्च के बाद एम्स ने दिया जवाब तो परिजनों ने घर को बनाया आईसीयू

CHHAPRA DESK – सारण जिले के लहलादपुर थाना क्षेत्र के ताजपुर टोले पृथ्वीनगर के अब्दुल्लाह खान उर्फ गुडु खान का दस वर्षीय एकलौता पुत्र आदिल जीबीएस सिंड्रोम नामक असाध्य रोग से पांच वर्षों से पीड़ित हैं. बीमारी ने बच्चे की सांस लेने की क्षमता को खत्म कर दिया है. वही पूरा शरीर पैरालाइज्ड है.बच्चे का इलाज पटना के प्राइवेट नर्सिंग होम से लेकर दिल्ली एम्स तक हो चुका है लेकिन कोई फायदा नहीं.  फिलहाल आदिल पिछले पांच सालों से आऑक्सीजन-वेंटिलेटर सपोर्ट के सहारे सांस ले रहा है. आदिल के शरीर के किसी भी अंग में कोई भी हरकत नहीं होती है. वह बेड पर ही पड़ा रहता है.आदिल के पिता गुडु खान बनपुरा बाजार में एसबीआई का ग्राहक सेवा केंद्र का संचालन करते है. उन्होंने अपना घर, जमीन, गहने सबकुछ गिड़वी रख कर्ज लेकर उन्होंने आदिल के इलाज में अबतक लगभग एक करोड़ रुपये तक खर्च कर दिये हैं. अब उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि बच्चे का इलाज देश या विदेश के अच्छे अस्पताल में करा सकें.

पैर दर्द और बुखार से शूरू हुई बीमारी

गुडु खान ने बताया कि पिछले पांच साल पुर्व उनके बेटे आदिल को बुखार और पैर में दर्द शुरु हुआ. इलाज शूरु हुआ लेकिन देखते ही देखते आदिल का पूरा शरीर शिथिल पर गया. शरीर की हालत पैरालाइसिस की तरह हो गई. आदिल अपनी मर्जी से हिल भी नहीं सकता. पटना के एक अस्पताल में आदील का छ:माह तक इलाज चला।इसमें लगभग पचास लाख रुपये का खर्च आया. परिवार आर्थिक रुप से पूरी तरह टूट गया. उसके बाद बच्चे को तमाम तरह की कठिनाइयों के बाद दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया. जहां दो सालों तक बच्चा अस्पताल में ही एडमिट रहा और इलाज चलता रहा।लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

दिल्ली एम्स ने कहा फिलहाल इलाज संभव नही

एम्स में दो साल के इलाज के बाद एम्स के चिकित्सकों के एक पैनल ने बच्चे को एम्स से डिस्चार्ज कर दिया. परिजन चाह रहे थे कि बच्चा जबतक स्वस्थ्य न हो तबतक एम्स में उसका इलाज हो. परिजनों के इच्छा के विपरित एम्स के चिकित्सकों ने बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया. चिकित्सकों ने परिजनों को बताया की फिलहाल बच्चें का इलाज एम्स में संभव नहीं है.

घर के एक रूम को बना दिया आइसीयू रुम

करोड़ों के कर्ज में दब चुके परिजनों की हालत अब ऐसी नहीं है कि बच्चे का इलाज अब अस्पताल में करा सके. फिलहाल बच्चा घर पर ही लाइफ सपोर्ट सिस्टम के सहारे एक कमरे में ही बेड परा रहता है. परिजनों ने घर के एक कमरें को आइसीयू रुम बना दिया गया है. उसी रुम में बच्चा वेंटिलेटर के सहारे जिंदा है।रुम में वाइपेक मशीन,आक्सीजन कंस्ट्रेटर,आक्सीजन सिलेंडर आदी रखा गया है. रुम में सीसीटीवी कैमरा,स्मार्ट टीवी आदि लगाया गया. ताकि सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से भी बच्चे पर चौबीस घंटे नजर रखी जा सके।

नहीं मिली अबतक कोई सरकारी सहायत. 

आदिल के पिता गुडु खान ने बताया कि अबतक उन्हें सरकारी स्तर पर या एनजीओ के स्तर से कोई भी सहायता नहीं मिली है. सरकारी सहायता के लिए वे दिल्ली के बिहार भवन में भी अपनी गुहार लगाए थे लेकिन वहां से उनको निराशा हाथ लगी.गुडु खान नम आंखों से कहते हैं कि उनका एकलौता बेटा हर रोज जिंदगी और मौत से जुझता है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि बच्चे के जिंदगी के सलामती के लिए दुआ करें.

जीना चाहता है आदिल

आदिल ने कहा कि वह जीना चाहता है।वह समान्य बच्चों की तरह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता.आदिल ने बताया कि जब नर्सरी में पढ़ता था तभी वह बिमार पर गया. फिर से वह ठीक होकर पढ़ना चाहता है. वह चाहता है कि वह जल्द से जल्द ठीक होकर अपने हम उम्र बच्चों के साथ खेल सकें।ये सभी बातें बताते हुए आदिल के आंखों में आसूं छलछला जातें हैं. अब देखना ये कि आदिल के सपने पूरे हो पाते है या नहीं.

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