दुनिया को ज्ञान देने वाले बिहार के सदन में शराब पर चर्चा होती है लेकिन शिक्षा की दुर्दशा पर चर्चा नहीं होती : याज्ञवल्क्य शुक्ल

दुनिया को ज्ञान देने वाले बिहार के सदन में शराब पर चर्चा होती है लेकिन शिक्षा की दुर्दशा पर चर्चा नहीं होती : याज्ञवल्क्य शुक्ल

CHHAPRA DESK – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बिहार के 64वे प्रदेश अधिवेशन के दौरान अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने प्रेस वार्ता की. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से विद्यार्थी परिषद निरंतर देशहित, छात्र हित एवं समाजहित में कार्यरत है. हम सत्ता परिवर्तन से अधिक व्यवस्था परिवर्तन तथा समाज के परिवर्तन में विश्वास करते हैं. हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागु करने के लिए तथा शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार से जीडीपी का कम से कम 2% हिस्सा खर्च हो, इसका निवेदन किया है.

वही राज्य सरकारों से भी हम यह मांग करते हैं कि सत्ता लोभ में जाति-धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर अब शिक्षा केन्द्रित राजनीति करे. यह देश युवाओं का है और युवा तभी सशक्त होंगे जब वो शिक्षित होंगे. इसके अलावा सरकार यह सुनिश्चित करे कि कोई भी भ्रष्ट व्यक्ति विश्वविध्यालय के गरिमामयी एवं संवैधानिक पदों पर आसीन न हो. बिहार की नालंदा स्तर की उन्नत पुरातन शिक्षा व्यवस्था, वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की दुर्दशा और सत्र अनियमितता पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग विचारों की सरकार है.

यहां राजभवन की यह जिम्मेदारी है कि वो शिक्षा व्य्स्वथा को सुदृढ़ रूप से संचालित करने की पहल करे, राजभवन ‘मौनभवन’ न बने. साथ ही यह सुनिश्चित हो कि जो भी हमारे भाई-बहन नामांकन करा रहे हैं बिहार के विश्वविद्यालयों में, उन्हें सत्र के समय के अनुसार उनकी डिग्री उपलब्ध हो. यह सबकी जिम्मेदारी है, इस जिम्मेदारी से कोई भाग नहीं सकता है. चाहे वो किसी भी पद पर बैठे हो या फिर संवैधानिक संस्था को चलाने वाले जिम्मेदार लोग हो.


बिहार का दुर्भाग्य यह है कि दुनिया को ज्ञान देने वाला बिहार, गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त कराने वाला बिहार और उसके सदन में आज शराब पर चर्चा होती है लेकिन शिक्षा की दुर्दशा पर चर्चा नहीं होती. यह कोई नहीं पूछता की बिहार की शिक्षा व्यवस्था कब पुनः अपने गौरव को प्राप्त करेगी. बिहार के अंदर केवल आंख मिचौली का खेल चल रहा है, सरकार राजभवन को और राजभवन सरकार पर दोष लगाती है, अपनी जिम्मेदारी कोई सुनिश्चित नहीं करना चाहता. यह सब बंद होना चाहिए. सभी राजनीतिक दलों को अपने आप में मंथन करना चाहिए और शिक्षा के मुद्दे पर एक स्वर में आवाज बुलंद करनी चाहिए.


सत्र देरी की वजह से छात्रों के बिहार से पलायन के विषय के संबंध में उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद है कि शिक्षा प्राप्त करने के लिए जिस ज्ञान की भूमि पर दुनिया से लोग आते थे आज वहां से स्थानीय छात्र भी पलायन कर रहे हैं. राज्य की सरकार को इस संबंध में आत्मचिंतन करने की जरुरत है कि आखिर यह पलायन का सिलसिला कबतक चलता रहेगा? साथ ही सामज के लोगों को भी सरकार को इस बात का भान कराना होगा कि हम अपने बच्चों के लिए सुदृढ़ शिक्षा व्यवस्था चाहते हैं. तभी हम व्यवस्था में सुधार की उम्मीद कर सकते हैं.

शिक्षा परिसर में बढ़ रहे बौद्धिक आतंकवाद के प्रभाव को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि कुछ मुट्ठी भर लोग हैं जो देश के प्रतिष्ठित संस्थानों को अपने कुंठित मानसिकता की वजह से बदनाम कर रहे हैं. पर देश का युवा-छात्र वैसे लोगों को अब पहचान चूका है और उनके झांसे में नहीं आने वाला है. साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश विरोधी तत्व उनके परिसर से दूर रहे तथा सरकार वैसे लोगों पर अंकुश लगाए.


इसके अलावा भी अन्य विषयों पर पूछे गए सवालों पर उन्होंने अपना मंतव्य दिया.इस प्रेस वार्ता में प्रदेश मंत्री अभिषेक यादव एवं अधिवेशन की छात्रा व्यवस्था प्रमुख अपराजिता सिंह मौजूद थी. प्रेस-मीडिया से मंचासीन का परिचय अभाविप के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं अधिवेशन के व्यवस्था प्रमुख रवि पाण्डेय ने कराया.

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