सामाजिक जागरूकता से ही कालाजार उन्मूलन की राह होगी आसान : डॉ चंदेश्वर

सामाजिक जागरूकता से ही कालाजार उन्मूलन की राह होगी आसान : डॉ चंदेश्वर

CHHAPRA DESK – सामाजिक जागरूकता से ही कालाजार रोग पर काबू पाया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि हम स्वास्थ्यकर्मियों को इसकी संपूर्ण जानकारी दें, जो समाज के निचले पायदान पर काम कर रहे हैं या लोगों के साथ जिनकी सीधी पहुंच है. उक्त बातें कालाजार उन्मूलन के लिए सामाजिक जागरूकता पर हुए दो दिवसीय प्रशिक्षण के मौके पर डीआईओ सह प्रभारी डीएमओ डॉ चंदेश्वर कुमार सिंह ने कही.

पीसीआई संस्था के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग के द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण का आयोजन एक निजी होटल में किया गया था. डीएमओ ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि कालाजार उन्मूलन को लेकर विस्तृत चर्चा व जनजागरूकता पर बल दिया गया तथा इस बीमारी की रोकथाम को लेकर आवश्यक जानकारी भी दी गई. जनजागरूकता से ही कालाजार का उन्मूलन संभव है.

इसलिए, प्रशिक्षण के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने पर बल दिया गया. प्रशिक्षण में कुल 10 प्रखंडों के बीसीएम, सीएचओ, भीबीडीएस को प्रथम दिन प्रशिक्षण दिया गया. बाकी 10 प्रखंडों के सीएचओ, बीसीएम, भीबीडीएस को दूसरे दिन प्रशिक्षण दिया जायेगा. प्रशिक्षण में वीडीसीओ अनुज कुमार, जिला स्वास्थ्य समिति के डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार, सीफार के जिला समन्वयक रितेश कुमार राय मौजूद थे.

विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर किया जायेगा जागरूक

पीसीआई के आरएमसी सत्य प्रकाश के द्वारा कार्यक्रम में यह बताया गया कि कालाजार उन्मूलन के लिए सारे विभाग के साथ कैसे समन्वय बनाना है. पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों, पीडीएस दुकानदारों, आईसीडीएस एवं जीविका के कर्मियों के अलावा विकास मित्र, शिक्षा विभाग समेत अन्य विभागों से समन्वय कर सामुदायिक स्तर पर लोगों को इस बीमारी से बचाव के लिए जागरूक करने के लिए विस्तृत विचार-विमर्श किया गया. प्रशिक्षण में मौजूद बीसीएम, सीएचओ, भीबीडीएस, बीएचडब्लयू, प्रतिभागियों को कालाजार के कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार की विस्तृत जानकारी देते हुए जनजागरूकता पर बल दिया गया.

कालाजार से बचाव के लिए दी गई जानकारी

वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में कालाजार की जांच एवं इलाज की मुफ्त समुचित व्यवस्था उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए जमीन पर नहीं सोएं. मच्छरदानी का नियमित रूप से उपयोग करें। दिन में भी मच्छरदानी लगाकर ही सोएं. पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें.

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