Chhapra Desk – छपरा जिले में बालू माफियाओं के नए हथकंडे एवं गोरखधंधे से जहां परिवहन विभाग की परेशानी बढ़ गई है. वहीं, निर्दोष ट्रक मालिकों के लिए यह परेशानी का सबब बन गया है. इस गोरखधंधे के मामले में जिला परिवहन कार्यालय के एमवीआई समेत दो लोगों के खिलाफ छपरा व्यवहार न्यायालय में कोर्ट परिवाद दर्ज कराया गया है.
खास बात यह है कि यह परिवाद पत्र मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के यहां एक ट्रक मालिक के द्वारा दर्ज कराया गया है. अपने दर्ज परिवाद में छपरा जिले के डोरीगंज थाना अंतर्गत बलवन टोला निवासी ट्रक मालिक शिवजी राय के द्वारा बताया गया है कि कांग्रेश राय नाम एक व्यक्ति जो कि खुद ट्रक मालिक है और अपने गाड़ी पर उनके ट्रक का नंबर लगा कर चला रहा था. जिससे वह लाल बालू की अवैध रूप से ढुलाई करवाता था. उस ट्रक को एमवीआई संतोष कुमार सिंह ने छापामारी के दौरान पकड़ा और ड्राइवर के साथ उसका फोटोग्राफ लिया.
जिसके बाद लगभग ₹96000 का जुर्माना उस ट्रक के नंबर पर कर दिया गया. जबकि जुर्माना करने के समय प्रावधान यह है कि ट्रक या किसी भी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के साथ-साथ उसका चेचिस नंबर भी दिया जाए लेकिन एमवीआई ने इसका पालन नहीं किया और सिर्फ रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर चालान काट दिया. जिसका भुगतान उनके पास आ गया. जब उनको यह बात पता चली तो उन्होंने एमवीआई से संपर्क किया और बताया कि जिस तारीख को इस ट्रक का चालान काटा गया है उसके 2 महीने पहले से उसका ट्रक गैरेज में खड़ा है और उसका ट्रक बनाया जा रहा है. जिसके पर्याप्त सबूत हैं.
इसके बाद शिवजी राय द्वारा यह भी बताया गया कि जिस ट्रक ड्राइवर का फोटो है वह कांग्रेस राय का ड्राइवर मुकेश राय है. सारी बातें सुनने के बाद एमवीआई के द्वारा इस मामले की जांच कराने की बात कही गई और कांग्रेश राय के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया. लेकिन, काफी दिनों तक दौड़ने के बाद भी इस मामले का निष्पादन नहीं हो सका है. वहीं इस मामले को रफा-दफा करने के लिए उनसे 40,000 की मांग भी की गई और उनके द्वारा इस राशि का भुगतान नहीं किए जाने पर मामला जैसे के तैसे ठंडे बस्ते में चला गया है. हालांकि इस मामले को सुलझाने के लिए उनके द्वारा जिला परिवहन पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारियों से भी गुहार लगाई गई. लेकिन, इस मामले में कोई सार्थक पहल नहीं होते देख उनके द्वारा कोर्ट की शरण ली गई.
जिसके बाद उनके द्वारा छपरा के परिवहन मोटरयान निरीक्षक संतोष कुमार के साथ उनके कर्मचारी संदीप कुमार और 2 अन्य लोगों को नामित करते हुए कोर्ट परिवाद दर्ज कराया गया है. जो कि भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468 के साथ भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम 7, 8, 9, 11 के अंतर्गत दर्ज किया गया है. जिसके बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के द्वारा जांच हेतु यह मामला चंद्र बोस सिंह प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है.
साभार : राजीव कुमार सिंह ‘अधिवक्ता’