हलचल विशेष : इंटर पास भी यहां चला रहा अल्ट्रासाउंड सेंटर, आखिर कैसे हुआ रजिस्ट्रेशन ?

हलचल विशेष : इंटर पास भी यहां चला रहा अल्ट्रासाउंड सेंटर, आखिर कैसे हुआ रजिस्ट्रेशन ?

 

CHHAPRA DESK – सारण में अल्ट्रासाउंड संचालन को लेकर जांच के दौरान कई बड़े खुलासे हो रहे हैं. यकीन मानिए! कुछ तथ्य ऐसे सामने आ रहे हैं जो कि आपके होश उड़ा देंगे. अगर हम कहें कि इंटर पास व्यक्ति भी अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन कर सकता है तो यह हास्यास्पद बात होगी. क्योंकि अल्ट्रासाउंड करने के लिए अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट चिकित्सक होना आवश्यक है. लेकिन छपरा में इंटर पास व्यक्ति के द्वारा भी अल्ट्रासाउंड का संचालन किया जा रहा है.

जोकि, कहीं ना कहीं उसके द्वारा सिविल सर्जन से प्राप्त किए गए रजिस्ट्रेशन पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है. जांच में इससे भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. जिसमें अल्ट्रासाउंड सेंटर का रजिस्ट्रेशन किसी और के नाम पर है और वहां अल्ट्रासाउंड कोई और कर रहा है. जांच के दौरान अनेक अल्ट्रासाउंड सेंटर पर सिर्फ कर्मचारी ही मिले. जिनके द्वारा बताया गया कि डॉक्टर साहब आकर अल्ट्रासाउंड करते हैं. ऐसा ही एक सेंटर शहर के काशी बाजार में है, जिसका नाम तारा अल्ट्रासाउंड सेंटर है.

इस अल्ट्रासाउंड सेंटर में भी काफी अनियमितताएं पायी गई है. जिला प्रशासन के अधिकारी रजनीश कुमार एवं डॉ संदीप कुमार यादव के द्वारा जांच के दौरान पाया गया कि अल्ट्रासाउंड सेंटर सुजीत कुमार के नाम पर रजिस्टर्ड है. वहां मौजूद कर्मचारियों ने जब सेंटर संचालक से बात कराई. जांच के लिए पहुंचे अधिकारियों ने टेलीफोन पर जब उनसे डिग्री पूछा तो उन्होंने बताया कि इंटरमीडिएट पास है.

यह सुनकर जांच के लिए पहुंची टीम के होश उड़ गए. उन्होंने पूछताछ में बताया कि उनके सेंटर पर डॉक्टर भारती सिंह के द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जाता है जोकि गायनेकोलॉजिस्ट है. जिसका रजिस्ट्रेशन पर कोई जिक्र नहीं है. अब सवाल यह उठता है कि अल्ट्रासाउंड किसी और के नाम पर और वहां जांच कोई और व्यक्ति कैसे कर रहा है? यह भी सोचनीय विषय है. अगर जिले के सभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच कराई जाए तो 75 फीसदी अल्ट्रासाउंड सेंटर मानक पर खरे नहीं उतरेंगे और उन्हें बंद करना पड़ेगा.

बताते चलें कि अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने के लिए पहली प्राथमिकता उस सेंटर का पीसीपीएनडीटी एक्ट की धारा 18 का अनुपालन एवं अल्ट्रासोनोलॉजिस्ट का होना आवश्यक है. अब देखना यह है कि इस बार टीम की जांच में कितने अल्ट्रासाउंड बंद होते हैं और कितने मानक पर खरे उतरते हैं.

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