शहीद असगर अली का पार्थिव शरीर पहुंचते ही वंदे मातरम की गगनभेदी नारों से गुंजायमान हुआ गांव ; हाथों में तिरंगा ले हजारों लोगों ने दी सलामी

Chhapra Desk – शहीद असगर अली उर्फ बबलू का पार्थिव शरीर जैसे उसके पैतृक आवास छपरा के खैरा थाना क्षेत्र अंतर्गत मकसुसपुर गांव पहुंचा हजारों लोगों ने हाथों में तिरंगा लेकर उन्हें सलामी दी. वहीं वंदे मातरम के गगनभेदी नारों से पूरा गांव गुंजायमान हो गया. इस दौरान अपने वीर शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए हजारों की तादाद में लोग उपस्थित रहे. वहीं आसपास के सभी गांवो के लोग भी उसके जनाजे में शामिल हुए. जिसके बाद राजकीय सम्मान के साथ शव को विधि विधान से दफनाया गया.बताते चलें कि गुरुवार की अलसुबह वह जम्मू कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हो गये थे। वह नजामुदिन अली के सबसे छोटे पुत्र थे. उनके शहीद होने की सूचना के बाद से पूरे गांव में मातम पसरा हुआ था.

2010 की हुई थी बहाली

असगर अली उर्फ बबलू की बहाली वर्ष 2010 में सीआईएसएफ में हुई थी तथा 2013 में शादी हुई थी. उसकी दिल्ली में पोस्टिंग थी. दिल्ली में ही अपनी पत्नी परवीन बेगम तथा दोनों बच्चों तीन वर्षीय लड़का जिसान अहमद और डेढ़ साल की बच्ची बब्बी को साथ रखता था. घटना की खबर मिलते ही पत्नी बच्चे गांव के लिए निकल पड़े हैं. बताया जाता है कि तत्कालीन ड्यूटी कुछ दिन के लिए जम्मू कश्मीर में लगी थी. जहां आतंकी मुठभेड़ के दौरान वह शहीद हुए हैं.

14 मई को परिवार सहित आना था घर

जम्मू कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में शहीद असगर अली उर्फ बबलू 14 मई को परिवार के साथ घर छपरा आने वाले थे. जिसका रिजर्वेशन कराया गया था। तब तक वह शहीद हो गए. उनके पिता निजामुदीन अली ने बताया कि पांच लड़का में बबलू सबसे छोटा लड़का था. सबसे बड़ा लड़का राजुद्दीन अली, अख्तर अली, शर्फुद्दीन अली तथा मैनुद्दीन अली हैं.

तीन भाई सउदी अरब में तो एक भाई पानीपत में करते हैं नौकरी

शहीद असगर अली उर्फ बबलू के तीन भाई सऊदी अरब में नौकरी करते हैं. जबकि एक भाई पानीपत में किसी निजी कंपनी में जीएम के पद पर कार्यरत है. बताया जाता है कि राजुद्दीन अली पानीपत में नौकरी करते हैं, जबकि अन्य तीन अख्तर अली, शर्फुद्दीन अली तथा मैनुद्दीन अली सऊदी अरब में नौकरी करते हैं.

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