हिन्दी साहित्य के पुरोधा व ‘खड़ीबोली’ हिन्दी को साहित्य में दर्ज कराने वाले युगप्रवर्तक लेखक जयशंकर प्रसाद की 134वीं जयंती समारोह पूर्वक मनी

हिन्दी साहित्य के पुरोधा व ‘खड़ीबोली’ हिन्दी को साहित्य में दर्ज कराने वाले युगप्रवर्तक लेखक जयशंकर प्रसाद की 134वीं जयंती समारोह पूर्वक मनी

CHHAPRA DESK – आधुनिक हिन्दी साहित्य के पुरोधा ‘खड़ीबोली’ हिन्दी को साहित्य में दर्ज कराने वाले युगप्रवर्तक लेखक जयशंकर प्रसाद की जयंती के अवसर पर मंडल रेल प्रबंधक रामाश्रय पाण्डेय के निर्देशन तथा मंडल के राजभाषा विभाग के तत्वाधान में आज 30 जनवरी को वाराणसी सिटी स्टेशन स्थित हिन्दी ग्रंथालय में जयशंकर प्रसाद की 134वीं जयंती समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ स्टेशन अधीक्षक, वाराणसी सिटी अशोक कुमार पाठक द्वारा जयशंकर प्रसाद के चित्र पर मालार्पण कर किया गया.

इस अवसर पर रेलवे सुरक्षा बल की प्रभारी श्रीमती अंजू लता द्विवेदी, सी०से०ई अनूप कुमार,मुख्य स्वास्थ निरीक्षक डॉ डी नारायण, सी से०ई (C&W) नरेन्द्र कुमार, पूजा मनराल हेड कांस्टेबल, गुंजन कुमार कार्यवृत लेखक तथा वाराणसी सिटी स्टेशन पर कार्यरत सभी कर्मचारी उपस्थित थे. इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में श्री पाठक ने बताया की जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी,1889 को वाराणसी में हुआ था. जयशंकर प्रसाद हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे.

वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं. उन्होंने हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ीबोली के काव्य में न केवल कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई और कामायनी तक पहुंचकर वह काव्य प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में भी प्रतिष्ठित हो गया.  बाद मे प्रगतिशील एवं नयी कविता दोनों धाराओं के, प्रमुख आलोचकों ने उसकी इस शक्तिमत्ता को स्वीकृति दी. इसका एक अतिरिक्त प्रभाव यह भी हुआ कि ‘खड़ीबोली’ हिन्दी काव्य की निर्विवाद सिद्ध भाषा बन गयी.

जयशंकर प्रसाद का साहित्य जीवन की कोमलता, शक्ति और ओज का साहित्य माना जाता है. छायावादी कविता की अतिशय काल्पनिकता, सौंदर्य का सूक्ष्म चित्रण, प्रकृति -प्रेम, देह-प्रेम और शैली की लाक्षणिकता उनकी कविता की प्रमुख विशेषताऐं है. इतिहास और दर्शन में उनकी गहरी रूची थी जो उनके साहित्य में स्पष्ट दिखाई देती है. जयशंकर प्रसाद की जयंती पर विभिन्न विभाग के कर्मचारियों ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार व्यक्त किए. जयंती का संचालान एवं धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती पूनम त्रिपाठी कनिष्ठ अनुवादक ने किया.

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