CHHAPRA DESK – बिहार के प्राचीनतम शहरों में शुमार गौतम स्थान रिविलगंज में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा व सरयू नदी के संगम स्थली पर हर साल लगने वाला गोदना-सेमरिया नहान मेला धार्मिक, पौराणिक तथा ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां हजारों की संख्या में लोग सरयू नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं तथा पुण्य के भागी बनते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां विशाल व भव्य मेला लगता है.
महर्षि गौतम की यह नगरी कभी ऋषि श्रृंगी की भी तपोभूमि रही है. गौतम ऋषि भी सप्तर्षियों में माने गये हैं. वे जन्मांध थे. स्वर्ग की कामधेनु की कृपा से उनका तम (अंधेरा) समाप्त हो गया और वह देखने लगे. तब गौतम कहलाए. वे ब्रह्मा के मानस पुत्र थे, (जो रागेय राघव लिखित महायात्रा कथा के भाग अंधेरा रास्ता में वर्णित है). कहा जाता है कि गौतम ऋषि मिथिला नरेश जनक की सभा में अपने पुत्र सतानंद को स्थापित करने के बाद अपनी धर्मपत्नी अहिल्या तथा पुत्री अंजनी के साथ इस स्थान पर आये तथा इसे अपनी तपोभूमि बनाया. माता अंजनी हनुमानजी की माता थीं. इस कारण इस स्थान को हनुमान जी का ननिहाल होने का भी गौरवशाली इतिहास है. रिविलगंज में गौतम स्थान पवित्र सरयू या घाघरा नदी के तट पर छपरा से लगभग 8 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है.
ऐसा कहा जाता है कि यह वह स्थान है जहां संत गौतम ऋषि की सुंदर पत्नी देवी अहिल्या को भगवान श्री राम ने अपने पूज्य गुरु मुनि विश्वामित्र के साथ जनकपुर जाते समय चट्टान से महिला में रूपान्तरित किया था. ऋषि गौतम, उनकी पत्नी अहिल्या, उनके पुत्र सतानंद का एक सुंदर मंदिर, जिन्होंने जनकपुर में भगवान राम और देवी सीता का विवाह समारोह किया, उनकी बेटी देवी अंजनी, बजरंगबली की मां और सबसे बढ़कर, भगवान राम की अमर पवित्र छाप इस परम पवित्र स्थान पर बनाया गया है. परिसर में अन्य छोटे मंदिर भगवान इंद्रदेव, चंद्रदेव और भगवान शिव शंभू के हैं.
सारण के गौरव ( छः परा शक्तियों पर आधारित छपरा) आखिर उपेक्षित क्यों ?
एक वृहद् जन जागरण की आवश्यकता है. गौतम ऋषि आश्रम के प्रधान महंत से इस संदर्भ में विस्तृत चर्चा हुई. युवा ब्राह्मण चेतना मंच “सारण गौरव यात्रा “के द्वारा के द्वारा सारण के धार्मिक धरोहरों महर्षि श्रृंगी ऋषि आश्रम सेमरिया, महर्षि गौतम आश्रम रिविलगंज, महर्षि दधीचि आश्रम दहियावां, महर्षि च्यवन आश्रम चिरान्द, राजा सुरथ तथा समाधि बनिया की तपो भूमि अम्बिका स्थान और गज ग्राह युद्ध की भूमि हरिहर क्षेत्र के पौराणिक महत्व और पर्यटन केन्द्र में जोडने हेतु एक जन जागरण यात्रा के माध्यम से समाज एवं सारण वासियों को जागरुक करने हेतु शीघ्र एक कार्ययोजना बना रहा है.